रोका कदम कदम पे ही हालात ने मुझे
रोका कदम कदम पे ही हालात ने मुझे
चलना सिखाया पर मेरी औकात ने मुझे
सीली हुई हैं मेरी तो यादें भी आज तक
इतना रुलाया है तेरी हर बात ने मुझे
करना पड़ा मुआफ़ भी बस इसलिये तुझे
पिघला दिया जो मेरे ही जज्बात ने मुझे
बारिश पुरानी याद वो फिर से दिला गई
जब सँग तेरे भिगोया था बरसात ने मुझे
मेरे नसीब में नहीं थी धूप चाँदनी
जानूँ न कैसे पाला है दिन रात ने मुझे
क्या होगा जब वो सामने आएंगे ‘अर्चना ‘
बेचैन कर दिया इसी ख्यालात ने मुझे
डॉ अर्चना गुप्ता
08-11-2017