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24 Oct 2017 · 1 min read

“रूचि”

रुचि!
एक अविस्मरणीय तोहफा
जिसे पाकर न रहता
शेष कुछ बाकी ।

सागर की असीम
गहराइयों जैसी
हृदय की गहराइयों से
उमड़ पड़ती है उमंग
जिसे पाकर

हृदय के अंतस्तल से
चाहता हूँ उसे मैं।।

Language: Hindi
546 Views
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