रुका तो था पुरानी चौक पर
जब से गुजरा हुं तेरी गली से.
हर सांस याद आ गई.
वो मेरी पहली मोहब्बत थी कभी.
मुझे तेरा हर बात याद आ गई.
ठहरा तो था तेरे चौक पर.
सपनो को उम्मीदों की तराजू पर तौल कर.
रुका तो था पुरानी चौक पर…..१
अब हया की बादरो से भिंगना क्यां.
वो मेरे ना हो सके इस पर सनम रुठना क्यां.
वो मेरी पहली मोहब्बत थी कभी.
आज भी तेरे दिदार को निकाल आता हुं गली में.
तेरे दिदार को तरस जाती मेरी आँखो की गहराई.
क्यां कसूर रहा मेरी चाहत का जो तुम अभी तक जुदा ना हो पाई.
रुका तो था पुरानी चौक पर…..२
#अवध??