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6 Jun 2020 · 1 min read

रिश्ते

होते हैं
बड़े नाजुक रिश्ते
समेटो उन्हें
दामन में
सरक गयी
अगर झोली
बिखर जाते
रेत से

देता मौला
मोहब्बत
बेपनह
समेट सको
जितना समेटो
पकड़ो झोली
मजबूती से
बिखर न जाये
रेत से

पकड़ो दामन
माँ बाप का
हैं वो
सरताज
जिन्दगी में
न चाहेंगे
बुरा वो
करो गुस्ताफी
तुम कितनी भी
पकड़ों
मजबूती से उन्हें
गये तो वो
फिर न आयेंगे

मांगो
दुआ इतनी
पड़ जाये
कम दामन
दाता है वो
वर दाता है
ले लो
दुआ बेपनह
क्या मालूम
फिर
कभी वो
सामने आये न

है
जिन्दगी
इतनी
एक रात
एक दिन
जितनी
कर लो
अपनो से
प्यार इतना
कम पड़
दामन ये
कब कहाँ कौन
गुम हो जाये
रह जायेंगी
फिर बस याद
वो भी कभी
आये न

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
405 Views
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