Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2021 · 2 min read

रिश्ते का मोह !

रिश्ते का मोह !
___________

कितना बड़ा अवरोध है ये !
अपनों से रिश्ते का मोह….
जो एक सीमा से आगे बढ़ने ही नहीं देता !
मार्ग ही आगे का अवरूद्ध ये कर देता !!

मन की तनिक भी नहीं चलने देता !
दोराहे पर लाकर खड़े ये कर देता !!
मन की भावनाओं के आड़े आ जाता !
किंकर्तव्यविमूढ़ता के भाव जागृत ये कर देता !!

कितना बड़ा अवरोध है ये !
अपनों से रिश्ते का मोह….

एक ऐसा अदृश्य सा बंधन है ये ….
कुछ पता भी नहीं चलने देता !!
सारी प्रक्रियाएं बस, यूॅं ही चलती रहती !
और मनुष्य कर्त्तव्य-पथ पर अपने….
बस, किसी तरह से आगे बढ़ते रहता ‌!!

अदृश्य चुम्बक की तरह सदा ये खींचता रहता !
अज्ञात चुम्बकीय शक्ति जैसा प्रभावित ये करता !!
ममता मोह का ये भॅंवरजाल बाॅंध के खुद में रखता !
रिश्ते का ये मोह और न जाने क्या-क्या है कर सकता !!

कितना बड़ा अवरोध है ये !
अपनों से रिश्ते का मोह….

सीमित दायरे में ही बाॅंध के ये रखता !
आगे की कुछ और सोचने ही नहीं देता….
ख़ास चीज़ों को ही कर्तव्य के दायरे में लाता….
उससे आगे की सोच कुंठित ही करता जाता….

निष्पक्षता पे भी कभी ये प्रश्न-चिन्ह लगाता !
लोगों की नज़रों में भी कभी-कभी झुकाता !!
असमंजस की स्थिति में फॅंसा कर ये रखता !
रिश्तों तक ही किसी की दुनिया सीमित रखता !!

कितना बड़ा अवरोध है ये !
अपनों से रिश्ते का मोह….

जो कोई भी रिश्ते का ये मायाजाल तोड़ता !
दिलो-दिमाग उसका सदा स्वतंत्र होके रहता !!
खुले आकाश में वो स्वच्छंद विचरण करता !
हर नैसर्गिक चीज़ों से वो समान बर्ताव करता !!

समाज – सेवा के लिए स्वतंत्र वो हो सकता !
देश-दुनिया के और भी करीब पहुॅंच सकता !!
संसार के हर प्राणी की आह वो सुन सकता !
त्याग के ये बंधन निर्बाध विचरण कर सकता !!
त्याग के ये बंधन निर्बाध विचरण कर सकता !!

सचमुच, इस नश्वर से संसार में….
कुछ कर गुजरने के लिए….
कितना बड़ा अवरोध है ये !
अपनों से रिश्ते का मोह….
अपनों से ये रिश्ते का मोह….

__स्वरचित एवं मौलिक ।

© अजित कुमार कर्ण ।
-__किशनगंज ( बिहार )

Language: Hindi
7 Likes · 4 Comments · 878 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
Pramila sultan
".... कौन है "
Aarti sirsat
प्रकृति कि  प्रक्रिया
प्रकृति कि प्रक्रिया
Rituraj shivem verma
■ खरी-खरी...
■ खरी-खरी...
*Author प्रणय प्रभात*
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लक्ष्य
लक्ष्य
Suraj Mehra
होली के हुड़दंग में ,
होली के हुड़दंग में ,
sushil sarna
प्रकृति एवं मानव
प्रकृति एवं मानव
नन्दलाल सुथार "राही"
*कविता कम-बातें अधिक (दोहे)*
*कविता कम-बातें अधिक (दोहे)*
Ravi Prakash
हिन्दू और तुर्क दोनों को, सीधे शब्दों में चेताया
हिन्दू और तुर्क दोनों को, सीधे शब्दों में चेताया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बेशक प्यार तुमसे था, है ,और शायद  हमेशा रहे।
बेशक प्यार तुमसे था, है ,और शायद हमेशा रहे।
Vishal babu (vishu)
मेरा नसीब
मेरा नसीब
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
Atul "Krishn"
कमाण्डो
कमाण्डो
Dr. Kishan tandon kranti
भूल गया कैसे तू हमको
भूल गया कैसे तू हमको
gurudeenverma198
विश्वास की मंजिल
विश्वास की मंजिल
Buddha Prakash
मौके पर धोखे मिल जाते ।
मौके पर धोखे मिल जाते ।
Rajesh vyas
मुसलसल ठोकरो से मेरा रास्ता नहीं बदला
मुसलसल ठोकरो से मेरा रास्ता नहीं बदला
कवि दीपक बवेजा
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
Dr Tabassum Jahan
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
Pooja Singh
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
Rahul Singh
2394.पूर्णिका
2394.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शिव अराधना
शिव अराधना
नवीन जोशी 'नवल'
****शिव शंकर****
****शिव शंकर****
Kavita Chouhan
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
Srishty Bansal
श्रम करो! रुकना नहीं है।
श्रम करो! रुकना नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
फूल
फूल
Pt. Brajesh Kumar Nayak
Chehre se sundar nhi per,
Chehre se sundar nhi per,
Vandana maurya
Loading...