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23 Apr 2020 · 1 min read

रिश्ता चंद अल्फ़ाज़ का।

यूं ही एक संबंध बना और,
हुई संदेशों की शुरुआत,

अहम बहुत वो अल्फ़ाज़ थे ऐसे,
जैसे दिन और रात,

एक हक था आपके लफ्ज़ों में भी,
फिर कहाँ गई वो बात,

आपको बेशक मानता हूं,
पर हद मैं अपनी जानता हूँ ,

बाइज्ज़त मैं भी कहूंगा कभी,
कि आप हैं बहुत ही ख़ास,

काश कि यूं ही बना रहता,
ये चंद संदेशों का साथ।

कवि-अंबर श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 472 Views
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