Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Mar 2018 · 3 min read

राष्ट्रवादी सोच एवं गांधी जी के तीन बंदर

राष्ट्र वादी सोच एवं गांधी जी के तीन बंदर
राष्ट्र वाद –मेरे विचार से सामाजिक मूल्यों , सामाजिक दायित्वों, संवैधानिक अधिकारों के प्रयोग की नैतिक ज़िम्मेदारी , देशभक्ति , एवं मातृ भूमि के प्रति समर्पण ही राष्ट्रवाद है ।
राष्ट्रवाद का महत्व — बच्चों में बाल्यकाल से राष्ट्रवाद की नीव डालनी चाहिए , अबोध बचपन को माटी की सुगंध एवं मातृ भूमि की गोद मे खेलने का अहसास होना चाहिए । बाल्यकाल से हमें हमारे नैतिक मूल्यों जैसे सच्चाई , ईमानदारी , वफादारी एवं सम्मान , मर्यादा के प्रति सजग होना चाहिए । हमारे सामाजिक संघठन में विभिन्नता में एकता , सामाजिक समरसता , बराबरी का सबको समान अधिकार , धर्म निरपेक्षता, प्रतिनिधि के निर्वाचन का अधिकार आदि मूलभूत अधिकार शामिल हैं । जिससे हम एक सुसंस्कृत व सभ्य समाज के नागरिक बन सकें ।
राष्ट्रवाद की प्रासंगिकता — राष्ट्रवाद एक समग्र सोच है , राष्ट्रवाद की प्रासंगिकता तर्क शास्त्र के माध्यम से अत्यंत उचित प्रतीत होती है । समय , देशकाल एवं परिस्थितियों के अनुसार एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र मे धार्मिक कुरीतियों को तर्क के माध्यम से अस्वीकार एवं अमान्य करना होगा । हम प्राचीन मान्यताओं को वर्तमान समय के परिपेक्ष में ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं कर सकते हैं । स्वार्थ परक राजनीति एवं निजी हितों के लिए रीति रिवाजों का प्रयोग निषेध करना होगा । समयानुकूल हमारे सामाजिक , धार्मिक एवं राजनीतिक स्वरूप मे परिवर्तन आवश्यक हो गया है तभी हमारे विचार व मान्यताएँ सर्वमान्य हो सकती हैं। राष्ट्रवाद मे राष्ट्र की राष्ट्रियता निहित है । अन्य देश के प्रति प्रेम प्रदर्शन हमारी राष्ट्रिय भावनाओं को ठेस पहुंचाता है , राष्ट्र विभाजन की विभीषिका की घटनाओं की याद दिलाता है । हमारा राष्ट्र बीती हुई बातों को बिसार कर आगे बढ्ने की प्रेरणा देता है , ना कि पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर पुरानी बातों एवं घटनाओं को दुहराने कि अनुमति देता है ।
संवैधानिक अधिकारों कि आड़ में लोग अभिव्यक्ति कि स्वतन्त्रता व समान अधिकारों कि दूषित व्याख्या करने लगे हैं , जो कि तार्किक आधार पर निरर्थक एवं सामाजिक दायित्वों के गैर ज़िम्मेदारी से निर्वाहन का ध्योतक है व नैतिक आधार पर व्यक्ति कि राष्ट्र निष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगाता है ।
सदियों से राम भारतीय समाज के प्रेरणा स्त्रोत एवं आदर्श रहे हैं । राम के स्मरण मात्र से हिन्दू समाज में स्फूर्ति , आनंद का संचार होने लगता है , राष्ट्र का नयनाभिराम रूप राष्ट्रियता को ओज , साहस एवं दृढ़ता प्रदान करता है ।
वर्ग विशेष का उत्तेजित होकर हिंसक होना यह दर्शाता है कि धार्मिकता कि आड़ मे वे कितने असहिष्णु हो जाते हैं जो देश विभिन्न धर्मों का आदर नहीं करते वे सामाजिक विसंगतियों का शिकार हो जाते हैं ।
आर्थिक स्थितिपर प्रभाव —राष्ट्र कि आर्थिक स्थिति समाज के बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करती है । राष्ट्र को स्वावलंबी बनती है । यह विकास के लिए परम आवश्यक है । काला धन राष्ट्र के विकास में बाधक है व बच्चों के नैतिक विकास में भी अवरोधक है । बच्चा बचपन से ही कालेधन कि छाया में पलता है । काला धन उसे एश्यर्व व भौतिक सुख प्रदान करता है । परंतु नैतिक रूप से उसके चरित्र का पतन होने लगता है । वह अपने को स्वावलंबी बनाने के बजाय कालेधन के स्त्रोत पर निर्भर होता है , परिणाम स्वरूप वह अनैतिक आचरण एवं अपराध कि दुनिया में प्रवेश करता है । बहुत बिरले ही होते हैं जो मान- सम्मान एवं कालेधन से सृजित अहंकार को ठोकर मार कर राष्ट्र कि मुख्य धारा मे शामिल हो पाते हैं ।
नैतिक आचरण राष्ट्रवाद का पोषक होता है , अनैतिक आचरण राष्ट्रवाद को कलंकित करताहै ।
अत : आर्थिक रूप से राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए स्वेच्छा से नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में स्थान दें ।
गांधी जी के तीन बंदर – जब देश ओपनिवेशिक मानसिकता से गुजर रहा था । सामंत शाही , जमींदारी , बंधुआ मजदूरी , अंग्रेजों कि गुलामी के बीच राष्ट्रवाद का उदय एक महत्व पूर्ण घटना थी । इन समस्त बुराइयों , कुरीतियों , आर्थिक शोषण को हम जब तीन बंदरों के माध्यम से देखते हैं तो ज्ञात होता है कि राष्ट्रिय चेतना इसके विपरीत है । वह आँख , कान मुंह बंद कर बुराइयों , जुल्मों को अनदेखा करने मे विश्वास नहीं करती है बल्कि आरोपों का विरोध करती है । वर्तमान परिपेक्ष में कालेधन, भ्रष्टाचार , कानूनअव्यवस्था , धार्मिक विसंगतियों , तीन तलाक जैसी कुरीतियों , अप्रासंगिक रीति रिवाजों के खिलाफ जनता को एकजुट होकर विरोध करना होगा , तभी राष्ट्रवाद कि जड़ें हमारे राष्ट्र मे मजबूत होंगी एवं विकास कि नई इबारत लिखी जा सकेगी

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 366 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
"तू-तू मैं-मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
DrLakshman Jha Parimal
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आज देव दीपावली...
आज देव दीपावली...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तोड़ कर खुद को
तोड़ कर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
आदमियों की जीवन कहानी
आदमियों की जीवन कहानी
Rituraj shivem verma
आई पत्नी एक दिन ,आरक्षण-वश काम (कुंडलिया)
आई पत्नी एक दिन ,आरक्षण-वश काम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
2773. *पूर्णिका*
2773. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
Smriti Singh
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
कवि रमेशराज
धूर अहा बरद छी (मैथिली व्यङ्ग्य कविता)
धूर अहा बरद छी (मैथिली व्यङ्ग्य कविता)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दवा के ठाँव में
दवा के ठाँव में
Dr. Sunita Singh
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
Anand Kumar
देश भक्ति
देश भक्ति
Sidhartha Mishra
ज़िंदगी की उलझन;
ज़िंदगी की उलझन;
शोभा कुमारी
दुल्हन एक रात की
दुल्हन एक रात की
Neeraj Agarwal
** मंजिलों की तरफ **
** मंजिलों की तरफ **
surenderpal vaidya
Tufan ki  pahle ki khamoshi ka andesha mujhe hone hi laga th
Tufan ki pahle ki khamoshi ka andesha mujhe hone hi laga th
Sakshi Tripathi
बेशक खताये बहुत है
बेशक खताये बहुत है
shabina. Naaz
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
घनघोर इस अंधेरे में, वो उजाला कितना सफल होगा,
घनघोर इस अंधेरे में, वो उजाला कितना सफल होगा,
Sonam Pundir
■ क़ुदरत से खिलवाड़ खुद से खिलवाड़। छेड़ोगे तो छोड़ेगी नहीं।
■ क़ुदरत से खिलवाड़ खुद से खिलवाड़। छेड़ोगे तो छोड़ेगी नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
गौरी।
गौरी।
Acharya Rama Nand Mandal
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
VINOD CHAUHAN
* मायने शहर के *
* मायने शहर के *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
Ashwini sharma
पत्थरवीर
पत्थरवीर
Shyam Sundar Subramanian
Loading...