आ रही है लौटकर अपनी कहानी
इन तन्हाइयो में तुम्हारी याद आयेगी
वस्रों से सुशोभित करते तन को, पर चरित्र की शोभा रास ना आये।
जरूरत से ज़ियादा जरूरी नहीं हैं हम
सितम ढाने का, हिसाब किया था हमने,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
তোমার চরণে ঠাঁই দাও আমায় আলতা করে
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
* सोमनाथ के नव-निर्माता ! तुमको कोटि प्रणाम है 【गीत】*
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
"मीरा के प्रेम में विरह वेदना ऐसी थी"
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
जिंदगी की एक मुलाक़ात से मौसम बदल गया।