राम रावण युद्ध
रावण भी था महाविज्ञ,तप कर शक्ति पाई थी
तीनों लोकों में उसने, अपनी धाग जमाई थी
अपने पद धन सत्ता के, नशे में रावण चूर हुआ
सत्य मार्ग से डिगा, असत्य वो मशहूर हुआ
सीता हरण किया उसने, राम से जा टकराया
धर्म-कर्म पर चलने बालों को, रावण ने बहुत सताया
नर बानर को क्षुद्र समझ, उनके हाथों मृत्यु मांगी
ईश्वर ने अवतार लिया,वानर बन गए सहभागी
हर कोशिश की राम ने युद्ध कदाचित टल जाए
अत्याचार अधर्म छोड़, रावण राह पर आ जाए
भावी और अहंकार वश, रावण ने बात नहीं मानी
भीषण युद्ध हुआ राम से, सेना सहित हार मानी
तीनों लोक का स्वामी, निश्तेज आज पड़ा था
इतने बड़े कुल और सेना में, कोई नहीं बचा था
असत्य आखिर मिट जाता है, कितना भी बलशाली
अटल नियम है ईश्वर का,सत्य की करता है रखबाली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी