राम नाम की लूट
राम नाम की गू्ंज मची है देखो ऐसे
यू. पी. का चूनाव पास बहुत हो जैसे,
कुछ वादे फिर राम नाम का कर जायेंगे
ठंढे बस्ते में फिर से वो सड़ जायेंगे।
पांच वर्ष ये वो माने जो कोर्ट कहेगा
जैसे वक्त चूनाव का आये मंदिर वही बनेगा,
मंदिर मस्जिद खेल चला नाजाने कबसे
चंगुल से बचना हो दुआ करो तु रब से।
जन-जन है मजबूर छुड़ाये कैसे पाला
पार्टि है बहुतेक चरित्र पर सबका काला,
अधिक बुरा ना हो आधे का सेल चला है
वजह यही मंदिर मस्जिद का खेल चला है।
राम नाम पे लूट मची है जम के लूटो,
जितने राम के भक्त मिलें फिर उनको लूटो,
होड़ मची है लूट सको जो जितना लूटे
राष्ट्र धरातल में जाये या फिर से टूटे।
नाम विकास का लेते जाना कुछ ना करना
धर्म जात के नाम मिले मत, फिर क्या करना,
अब तक ना बदलाव हुआ और ना अब होगा
जिन्हे मसीहा माना वो कल देंगे धोखा।
राष्ट्र के नाम का चिंतन क्यो करना है भाई
अपने ही हाथो हमने खोदी है खाई,
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
8/2/2017