राम राम बोलो
हर शुबह तुम कहो
राम राम
हम कहें राम राम
ये शिलशिला
शुबह का
हर शुबह ऐसे ही
आता जाएगा ।
सूरज की हर
किरण
खिलेगी हर रोज
दूर क्षितिज में
और छिपेगी
गौधूल की
भुर भुराहट में
और दस्तूर
मुस्कराहट का फिर शुरू
हो जाएगा ।
हर शुबह राम राम का
शिलशिला
ऐसे ही चलता
जाएगा ।
हर किरण उन्मुक्त होगी
हर दिन नया
उत्साह उतपन्न करेगी
यही उत्साह
जीवन में बहता जाएगा
शिलशिला ये राम नाम का
ऐसे ही जुड़ता जाएगा
हम ना रहेंगे
तुम ना रहोगे
सूरज की
यही किरण
हर शुबह की शुरुआत कर
हमारे शब्दो को
ऐसे ही दोहराया जाएगा ।
सूरज के साथ ही
राम नाम
अपना तेज़
ऐसे ही पोषित
करता जाएगा ।
सत्कार करो
राम राम ……।।