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28 Nov 2018 · 1 min read

रामानुज

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* * * रामानुज * * *

मतिभ्रष्ट और कामी
पिता नृप स्वामी
अवध्य नहीं खलकारी
हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी

हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी . . . . .

भुवन हिला दूं
सागर जला दूं
होवे गिरिशृंग रसातलचारी
सहमति रहे तुम्हारी

हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी . . . . .

बिन धीरज धनुर्धर
विकल मन बाण और कर
अन्याय बोझा भारी
धरती काँप रही दुखियारी

हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी . . . . .

घायल मन पाँखी
पीड़ा है साखी
समय कुटिल व्यभिचारी
नीति बैठी हारी

हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी . . . . .

दीपक कमेरा
उलीचे अँधेरा
बाती सिर अंगियारी
जलती रैना सारी

हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी . . . . .

शरण अपनी ले लो
ले लो राम ले लो
अनुज सौमित्र शेषावतारी
शय्या प्रभु मनोहारी

हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी . . . . . !

वेदप्रकाश लाम्बा ९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 312 Views
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