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1 Oct 2017 · 1 min read

“रामराज “

रामराज (कुण्डलिया)

रावण का संहार कर, बुरे मिटा दो काम।
रामराज कायम करो, बनकर के तुम राम।
बनकर के तुम राम, गुरूर जरा तुम त्यागो।
झूठ द्वेष सब त्याग, सच की ओर तुम भागो।
कहे राम” कविराय, बनो सबके मनभावन।
रखो नेक व्यवहार, स्वयं मिट जाये रावण।

स्वरचित
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “

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