रामजी अवध पधारे हैं
रामजी अवध पधारे हैं
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झूमों नाँचो गाओ उल्लास मनाओ,
अवध में फिर से श्रीराम पधारे हैं।
खुशियों का उत्पात मचा चहुँदिश,
श्री रामजी अपने धाम पधारे हैं।
पाँच दशक के वनवासी फिर,
नगर में वापस पुनः पधारे है।
जन जन की आँखो के तारे,
दशरथ सुत अपने धाम पधारे हैं।
खुशियों से हर्षाया जन मन
राम फिर घर को धारे हैं।
गूँज रहा चहुँदिश में नारा
सबके श्रीरामजी न्यारे हैं।
ऐसा जतन किया जन मन नें,
अब न रामजी अवध से जायेंगे।
बाँध प्रेम की डोर से प्रभु को,
हम प्रभु को बाँधे रखेंगें।
फैला है उल्लास चर्तुदिश,
अनंत आकाश हमारे हैं।
खुशियों का संसार रामजी,
फिर से अवध में ढारे हैं।
अपने प्रभू के दर्शन अब,
हरपल हरक्षण जनमन पायेंगे।
छोड़ न जाना हमें प्रभु अब,
सब मिल अरदास लगायेंगे।
अपने पूरे परिवार के संग,
अवध प्रभुदर्शन को जायेंगे।
अपने प्रभु के चरणों में सब,
श्री रामनाम की महिमा गायेंगे।
जयश्रीराम जयश्रीराम का,
हम सब मिल जयकार लगायेंगे।
?सुधीर श्रीवास्तव