Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2021 · 1 min read

रानी झाँसी लक्ष्मीबाई

वीर छंद/आल्हा

नाना की बहना मुख बोली,लक्ष्मीबाई नाम सुभाय।
पढ़ती- लिखती सँग नाना के, उसको नाना खेल सुहाय।।
खेल-खेल में व्यूह रचाये, दुर्ग तोड़ती,तीखे वार।
बर्छी, ढाल, कृपाण, कटारी, थे उसके ये प्रिय हथियार।।
ब्याह हुआ झांसी राजा से, गंगा धर उसका अधिकार ।
दुर्गा थी या थी रणचंडी,लिये वीरता का अवतार।।
रानी विधवा, हाय विधाता! ,बिन वारिस झांसी का राज ।
डलहौजी का मन ललचाया,हड़पी झांसी बिन आवाज। ।

जीत कालपी रण में रानी,अंग्रेजों को थी ललकार।
भीषण युद्ध हुआ रानी से,दोनों हाथों में तलवार।।
जब-जब दुश्मन जाल बिछाता, झलकारी करती संहार।
चंडी बनकर झपटी रानी, धर प्रलंयकर का अवतार।।
जनरल स्मिथ को रण में घेरा,रानी देती धूल चटाय।
झलकारी जो डटी वहाँ थी,फिरंगियों को रही सताय।।
रानी झांसी अमर सुता थी,समर क्रांति का बन हथियार।
स्वतंत्रता का परचम थामे, वीर शहीदों का व्यवहार।।

छीन लखनऊ दिल्ली छीनी, किया नागपुर पर आघात।
थी बंगाल, बिहार ,मराठा, कर्नाटक की कौन बिसात।।
नाना चेता झांसी चेती ,तात्या पर सबका विश्वास ।
अडिग वहां पर कुंवर हमारे,बलिदानों का रच इतिहास।।
अंग्रेजी सेना अभिमानी, करने लगी घात प्रतिघात ।
मर्यादित पर हिंद सिपाही ,अंग्रेजों पर था आघात।।
वीरों की ये अमर कहानी, सुन डोला अंग्रेजी राज ।
राजा पंचम भारत आया, लिखने भारत का इतिहास।।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।
मौलिक रचना।

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 384 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
Leena Anand
संवाद होना चाहिए
संवाद होना चाहिए
संजय कुमार संजू
हम ये कैसा मलाल कर बैठे
हम ये कैसा मलाल कर बैठे
Dr fauzia Naseem shad
खुद्दारी ( लघुकथा)
खुद्दारी ( लघुकथा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हर खिलते हुए फूल की कलियां मरोड़ देता है ,
हर खिलते हुए फूल की कलियां मरोड़ देता है ,
कवि दीपक बवेजा
■ नाकारों से क्या लगाव?
■ नाकारों से क्या लगाव?
*Author प्रणय प्रभात*
"शब्द"
Dr. Kishan tandon kranti
चाहते नहीं अब जिंदगी को, करना दुःखी नहीं हरगिज
चाहते नहीं अब जिंदगी को, करना दुःखी नहीं हरगिज
gurudeenverma198
🙏माॅं सिद्धिदात्री🙏
🙏माॅं सिद्धिदात्री🙏
पंकज कुमार कर्ण
प्रकृति
प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
Rj Anand Prajapati
मैं निकल पड़ी हूँ
मैं निकल पड़ी हूँ
Vaishaligoel
💐प्रेम कौतुक-480💐
💐प्रेम कौतुक-480💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
Neelam Sharma
क्या ईसा भारत आये थे?
क्या ईसा भारत आये थे?
कवि रमेशराज
इंसान जीवन क़ो अच्छी तरह जीने के लिए पूरी उम्र मेहनत में गुजा
इंसान जीवन क़ो अच्छी तरह जीने के लिए पूरी उम्र मेहनत में गुजा
अभिनव अदम्य
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
मोबाइल
मोबाइल
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
3105.*पूर्णिका*
3105.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
surenderpal vaidya
I know people around me a very much jealous to me but I am h
I know people around me a very much jealous to me but I am h
Ankita Patel
अध्यात्म का शंखनाद
अध्यात्म का शंखनाद
Dr.Pratibha Prakash
हर पाँच बरस के बाद
हर पाँच बरस के बाद
Johnny Ahmed 'क़ैस'
मस्तमौला फ़क़ीर
मस्तमौला फ़क़ीर
Shekhar Chandra Mitra
प्रकृति की ओर
प्रकृति की ओर
जगदीश लववंशी
मेरी चाहत
मेरी चाहत
Namrata Sona
“मेरी कविता का सफरनामा ”
“मेरी कविता का सफरनामा ”
DrLakshman Jha Parimal
कोई काम हो तो बताना,पर जरूरत पर बहाना
कोई काम हो तो बताना,पर जरूरत पर बहाना
पूर्वार्थ
*चले राम को वन से लाने, भरत चरण-अनुरागी (गीत)*
*चले राम को वन से लाने, भरत चरण-अनुरागी (गीत)*
Ravi Prakash
Loading...