Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2021 · 3 min read

राधेश्यामी छंद‌ (मत्त सवैया )

राधेश्यामी छंद (मत्त सवैया)

यदि मीठी वाणी सुनते हम, यश का वह होता पानी है |
जो कटुक बचन मुख उच्चारें , वह समझों पूरा मानी है ||

जो ह्रदय हीन जग दिखते है , वह दया धर्म मूल न जानें |
जो समझाने पर भड़क उठे , तब उसको मूरख ही मानें ||

धन लोभी का कपटी खाता, वह नहीं लोटकर आता है |
जब प्रीति बढ़ाई धन से ही ,तब जीवन भर दुख पाता है ||

उस घर में रोती अच्छाई , उस घर में संकट आता है |
जिस घर में राजा मतलब हो , खुद अपना गाना गाता है ||

जग पूरा दुखिया दिखता अब , घर सबके उसका डेरा है |
फिर रोग शोक की छाया भी , सब पर वह डाले घेरा है ||

नर भी घूमें जुता बैल-सा , वह करता तेरा मेरा है |
यह समझ न उसको आती है, जग चिड़िया रैन बसेरा है ||
==============

राधेश्यामी छंद

वह खाते पीते मेरा हैं , पर गाना उनका गाते हैं |
यह बतला सकता कोई भी , यह किस श्रेणी में आते हैं ||

जो छेद करेगा पत्तल में , खा पीकर दाना पानी को |
यह कितनी घटिया हरकत है , क्या बोले उस नादानी को ||

वह रोते रहते जीवन भर , घर पर दुख डेरा रहता है |
जो करते बेईमानी हैं , निज साया निज से डरता है ||

खुद रहती बेचैनी उनको , जो करते खोटी बाते हैं |
दिन का उजियारा भी जाने , वह पूरी काली राते हैं ||

जो कहता सबसे सच्चा ही , वह रब का प्यारा बंदा है |
पर नाटक करता परदे सा , वह पूरा मन से गंदा है ||

© सुभाष ‌सिंघई
एम•ए• हिंदी‌ साहित्य , दर्शन शास्त्र
जतारा (टीकमगढ़) म०प्र०

आलेख- सरल सहज भाव शब्दों से छंदों को समझानें का प्रयास किया है , वर्तनी व कहीं मात्रा दोष हो तो परिमार्जन करके ग्राह करें
सादर

============
राधेश्यामी छंद “विधान”
यह छंद मत्त सवैया के नाम से भी प्रसिद्ध है। पंडित राधेश्याम जी ने राधेश्यामी रामायण 32 मात्रिक चरण में रची है । छंद में कुल चार चरण होते हैं तथा क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त होते हैं। प्रति चरण पदपादाकुलक का दो गुना होता है l
तब से यह छंद राधेश्यामी छंद के नाम से प्रसिद्धि हो गया है
पदपादाकुलक छंद के एक चरण में 16 मात्रा होती हैं , आदि में द्विकल (2 या 11) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिकल वर्जित होता है।
राधेश्यामी छंद का मात्रा बाँट इस प्रकार तय होता है:
2 + 12 + 2 = 16 मात्रा (चरण का प्रथम पद)
2 + 12 + 2 = 16 मात्रा (चरण का द्वितीय पद)
द्विकल के दोनों रूप (2 या 1 1) मान्य है। तथा 12 मात्रा में तीन चौकल, अठकल और चौकल या चौकल और अठकल हो सकते हैं। चौकल और अठकल के नियम निम्न प्रकार हैं जिनका पालन अत्यंत आवश्यक है।
चौकल:- (1) प्रथम मात्रा पर शब्द का समाप्त होना वर्जित है। ‘करो न’ सही है जबकि ‘न करो’ गलत है।
(2) चौकल में पूरित जगण जैसे सरोज, महीप, विचार जैसे शब्द वर्जित हैं।

अठकल:- (1) प्रथम और पंचम मात्रा पर शब्द समाप्त होना वर्जित है। ‘राम कृपा हो’ सही है जबकि ‘हो राम कृपा’ गलत है क्योंकि राम शब्द पंचम मात्रा पर समाप्त हो रहा है। यह ज्ञातव्य हो कि ‘हो राम कृपा’ में विषम के बाद विषम शब्द पड़ रहा है फिर भी लय बाधित है।
(2) 1-4 और 5-8 मात्रा पर पूरित जगण शब्द नहीं आ सकता।
(3) अठकल का अंत गुरु या दो लघु से होना आवश्यक है।

Language: Hindi
Tag: गीत
2138 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
करुणा का भाव
करुणा का भाव
shekhar kharadi
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
Taj Mohammad
खरीद लो दुनिया के सारे ऐशो आराम
खरीद लो दुनिया के सारे ऐशो आराम
Ranjeet kumar patre
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मानव के बस में नहीं, पतझड़  या  मधुमास ।
मानव के बस में नहीं, पतझड़ या मधुमास ।
sushil sarna
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
संतोष तनहा
श्री भूकन शरण आर्य
श्री भूकन शरण आर्य
Ravi Prakash
★फसल किसान की जान हिंदुस्तान की★
★फसल किसान की जान हिंदुस्तान की★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
नव्य उत्कर्ष
नव्य उत्कर्ष
Dr. Sunita Singh
तू भी तो
तू भी तो
gurudeenverma198
"ब्रेजा संग पंजाब"
Dr Meenu Poonia
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
श्याम सिंह बिष्ट
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
श्रमिक  दिवस
श्रमिक दिवस
Satish Srijan
कैसे देख पाओगे
कैसे देख पाओगे
ओंकार मिश्र
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
Manoj Mahato
नौकरी (१)
नौकरी (१)
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
3306.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3306.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Radhakishan R. Mundhra
"चुम्बकीय शक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
सदैव खुश रहने की आदत
सदैव खुश रहने की आदत
Paras Nath Jha
🌹मेरी इश्क सल्तनत 🌹
🌹मेरी इश्क सल्तनत 🌹
साहित्य गौरव
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
Neeraj Agarwal
दोहावली ओम की
दोहावली ओम की
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अंधभक्तों से थोड़ा बहुत तो सहानुभूति रखिए!
अंधभक्तों से थोड़ा बहुत तो सहानुभूति रखिए!
शेखर सिंह
कोरोना और पानी
कोरोना और पानी
Suryakant Dwivedi
आज आप जिस किसी से पूछो कि आप कैसे हो? और क्या चल रहा है ज़िं
आज आप जिस किसी से पूछो कि आप कैसे हो? और क्या चल रहा है ज़िं
पूर्वार्थ
जिस आँगन में बिटिया चहके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
लक्ष्मी सिंह
सम्मान
सम्मान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उनसे कहना अभी मौत से डरा नहीं हूं मैं
उनसे कहना अभी मौत से डरा नहीं हूं मैं
Phool gufran
Loading...