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18 Mar 2020 · 1 min read

राधा दिवानी छोड़ जाऊँ क्या

नयन दरिया में ख्वाबों की रवानी छोड़ जाऊँ क्या
बता मुझको सुगंधित रातरानी छोड़ जाऊँ क्या

तिरी मगरूरियत मैं तोड़ दूँ तुझ पर फ़ना होकर
तिरी यादों में अपनी भी कहानी छोड़ जाऊँ क्या

मेरी मजबूरियों पर हँसने वाले ऐ मिरे हमदम
तू रोए हर घड़ी ऐसी निशानी छोड़ जाऊँ क्या

दिखे हालात बद्तर जब कभी तो सोचता हूँ मैं
सड़क पर भागती पागल जवानी छोड़ जाऊँ क्या

समंदर थी वो आँखें जो बहाकर ले गईं सपने
कहो उनमें मैं इन आँखों का पानी छोड़ जाऊँ क्या

किया मनुहार मीरा ने तो कान्हा ने कहा रोकर
तड़पती फिर कोई राधा दिवानी छोड़ जाऊँ क्या

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