Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Sep 2021 · 1 min read

रात के ॲंधेरे में किसी ने वार किया !

रात के ॲंधेरे में किसी ने वार किया !
••••••••••••••••••••••••••••••••••••
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

रात के ॲंधेरे में किसी ने वार किया !
पीठ के पीछे से वो कड़ा प्रहार किया !
सच में जीना मेरा उसने दुष्वार किया !
ना जाने क्यों, वो घिनौना कार्य किया !!

क्या मिला उसे ऐसी हरकतें करके !
किसी की भी चन्द खुशियाॅं छीनके !
लोग अपने निहित स्वार्थों के चलते !
औरों के थाली की रोटी तक छीनते !!

उन्हें क्या पता, दिल पे किसी के क्या बीतती !
ऐसे लोगों को तो सदा, बस अपनी ही सूझती !
उन्हें तो बस, खुद के साॅंस की ही चिंता होती !
भूलकर भी किसी की भलाई न उन्हें सूझती !!

आगे बढ़ने के लिए खुद वे कभी कुछ भी करेंगे !
औरों के लिए तो सदैव लक्ष्मण रेखा ही खींचेंगे !
खुद के अंदर तनिक भी न कभी झाॅंककर देखेंगे!
अपनी गलती को झूठी दलील से सच ही कहेंगे !!

कोई जब उनके रास्ते चलेंगे तो हज़ार प्रश्न पूछेंगे !
अटपटे सवालों के प्रहार से अधमरा तक कर देंगे !
पर कुछ भी हो जाए, तनिक भी दया दृष्टि न रखेंगे !
कभी – कभी दिखावा हेतु झूठी तसल्ली वे दे देंगे !!

पर ख़ास-ख़ास मौक़े पर वे तनिक भी नहीं बख्शेंगे!
मौक़े की तलाश में सदा दो दो हाथ को तैयार रहेंगे!
दिन के उजाले में जब वे कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे !
तब रात के ॲंधेरे में ही चुपके से वार कर जाएंगे !
पीठ के पीछे से वो बड़ा तगड़ा प्रहार कर जाएंगे !!

स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 18 सितंबर, 2021.
“”””””””””””””””””””””””””””””””””
??????????

Language: Hindi
5 Likes · 466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
Deepak Baweja
--जो फेमस होता है, वो रूखसत हो जाता है --
--जो फेमस होता है, वो रूखसत हो जाता है --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
श्याम सिंह बिष्ट
देखा तुम्हें सामने
देखा तुम्हें सामने
Harminder Kaur
मुहब्बत  फूल  होती  है
मुहब्बत फूल होती है
shabina. Naaz
*नासमझ*
*नासमझ*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मिर्जा पंडित
मिर्जा पंडित
Harish Chandra Pande
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
देखता हूँ बार बार घड़ी की तरफ
देखता हूँ बार बार घड़ी की तरफ
gurudeenverma198
आंखों की भाषा
आंखों की भाषा
Mukesh Kumar Sonkar
■ सुरीला संस्मरण
■ सुरीला संस्मरण
*Author प्रणय प्रभात*
"मैं-मैं का शोर"
Dr. Kishan tandon kranti
1🌹सतत - सृजन🌹
1🌹सतत - सृजन🌹
Dr Shweta sood
// सुविचार //
// सुविचार //
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
पर्यावरण है तो सब है
पर्यावरण है तो सब है
Amrit Lal
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।
दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।
लक्ष्मी सिंह
जुनून
जुनून
अखिलेश 'अखिल'
खिलौनो से दूर तक
खिलौनो से दूर तक
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी एक सफ़र अपनी
जिंदगी एक सफ़र अपनी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
रो रो कर बोला एक पेड़
रो रो कर बोला एक पेड़
Buddha Prakash
बेपरवाह
बेपरवाह
Omee Bhargava
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
2954.*पूर्णिका*
2954.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शिशिर ऋतु-१
शिशिर ऋतु-१
Vishnu Prasad 'panchotiya'
बादल छाये,  नील  गगन में
बादल छाये, नील गगन में
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...