#रात की बात
देखा मैंने रात, एक सुहाना-सा ख़्वाब
एक चेहरा यार, दिखा ख़ूब लाज़वाब
मुझे प्यार से देख, हँसा लगा सरिस गुलाब
किया प्यार में मौन, रूहाना-सा आदाब
पकड़ा उसने हाथ, दिया अज़ब प्यार ख़िताब
चूमा लिए कशीश, दे इज़हार-ए-ज़वाब
मैंने किया सवाल, उत्तर मिला इंकलाब
बोला होकर मस्त, हम तेरे हुये ज़नाब
हमें हुआ यूँ प्यार, प्रीतम बने आफ़ताब
दुनिया के आकाश, सजी हमारी भी आब
#आर.एस, ‘प्रीतम’