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4 Apr 2021 · 1 min read

रात अंधेरे

रात अंधेरे हो भले, दुर करै थकान।
दुर करै थकान की,सो जाए इंसान।
सो जाए इंसान, पुनः नई जोश भर जाए।
इसलिए दिन रात बना,नई स्वप्न ख्वाब में आए।
कहै किसानपुत्री दुनिया की ,ये रीत बड़ी पुरानी सब की जीवनरुपी बगिया, में नींद है जरूरी ।

#किसानपुत्री_शोभा_यादव

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