राजनीति के गुणा भाग में
राजनीति के गुणाभाग में,
चुनावों के राग रंग में,
माना सोनिया,हो जाये भाजपाई,
और काग्रेंसी हो जायें नरेन्द्र भाई,
तब नारों कि क्या दशा होगी,
जनता कि तब मनसा क्या होगी,
कांग्रेस ,मोदी जी के अनुभव को सगर्व कहेगी,
भा ज पा सोनिया को घर कि बहु कहेगी,
मोदी जी के शब्द जाल मे लोग तब बहेगें,
सोनिया,राहुल कि महक से लोग तब भी महकेगें,
पर जनता की समस्याओं से न होगा किसीको सरोकार,
बढती गरीबी,अशिक्षा,कुपोषण, व बेरोजगार,
तबभी,जुझें हैंऔर अब भी जुझेंगें,
और जुझेंगे बार बार,अनेकों बार,
क्योंकि सत्ता की ललक जनता से मिलाती भी है,
पद की खनक जनता से दूर कराती भी है,
यह सब यत्र वत्त होता है,होता रहेगा,
समय बीतने का अहसास,चुनाव आने पर ही होता है,
और तब शुरु हो जाती है,चुनावी पैंन्तरेबाजी,
उठा पटक,व दल बदल कि नाटक बाजी,
सिधान्तों से हटने व डटे रहने की बयानबाजी,
यह सब कुछ चलता है इस दौर में,
और जनता का दुख दर्द खो जाता है,चुनावी शोर में ।