राजनीतिक दलों का मीना बाजार
राजनीतिक दलों का सजा है ,
हमारे देश में मीना बाजार ।
अपना अपना प्रभाव जमाने को ,
करते है एक दूजे से तकरार।
कुकुरमुत्ते की भांति उगते है ,
ना जाने कहां से ये दल ।
मन मुटाव या विचार भिन्नता से ,
उपजते है एक से अनेक दल ।
अपने अपने आश्वासनों का सजाएं ,
चुनाव के मौसम में बाजार ।
और भोली जनता को रिझाएं ,
बनाकर पांच वर्षीय योजनाएं ना ना प्रकार ।
जीवन में चार मौसम तो सुने थे,
यह चुनाव का मौसम कहां से आया।
सत्ता पाने की हवस ने ही इनकी ,
यह पांचवा मौसम बनाया ।
ले ले कटोरा वोट रूपी भीख का ,
घर घर जाए सभी दल ।
मगर किसको कितनी भीख मिलती है,
यह मतदाता का ही जाने दिल ।
उसको जो विश्वसनीय लगेगा ,
उसे ही तो देगा न वो वोट ।
हां ! यह और बात है की कुछ लालच
देकर खरीद ले दिखाकर नोट ।
मीना बाजार है भाई ,
खरीद फ्रोक्ट तो लाजमी है।
सत्ता का स्वाद चखेगा वही ,
जिसके पास जितनी लक्ष्मी है ।
सोशल मीडिया या न्यूज मीडिया में,
करते है यह दल बहुत धमासान ।
करते है एक दूजे पर आरोप प्रत्यारोप ,
और अपशब्दों का प्रयोग कर मचाते तूफान ।
कुकुर मुत्ते से उगे हुए यह ,
अनगिनित दल है बड़े व्यभिचारी ।
कौन कसे इन पर लगाम ,
कौन ले इनकी जिम्मेदारी ।
कौन सिखाए इन्हें मर्यादा में रहना ,
कौन इन्हें शिष्टाचार सिखाए?
जनता से इन्हें गर प्यार और सम्मान चाहिए ,
तो कौन इन्हें आदर्श बनना सिखाए ?
राजनीतिक दल होने चाहिए ,
देश मात्र दो ,पक्ष और विपक्ष।
विश्व के अधिकाश देशों में ,
ऐसा ही है शासन तंत्र ,पक्ष और विपक्ष ।
जब होंगे देश में इतने सारे राजनीतिक दल ,
तो हर रोज घमासान होगा ही ।
नित्य प्रति संसद भवन में रचाते महाभारत ,
तो इनका तो क्या देश का अपमान होगा ही ।
अब यह परस्पर लड़ते और उलझते रहते हैं ,
देश के आगामी हालात की सुध है किसको?
यह तो अपने स्वार्थ में अंधे हुए पड़े है ,
समाज में व्याप्त आतंकवाद और अपराधों का ,
कुछ होश है इनको ?
राजनीतिक दल होते यदि मात्र दो ,
तो मतदाताओं को भी उलझन न होगी ।
एक सत्तासीन होगा तो दूसरा उसका मार्गदर्शक ,
शासन व्यवस्था चलाने में अड़चन न होगी ।
दरअसल विपक्ष होना कोई बुरी बात नहीं,
विपक्ष दल सरकार का आइना होता है ।
आखिर इंसान ही है ना गलती हो सकती हैं,
तो विपक्षी दल सरकार को उनकी कमियां बताता है ।
है शर्त बस इतनी की विपक्षी राजनीतिक दल ,
मन का साफ और देशभक्त हो ।
और सत्तासीन राजनीतिक दल आदर्श सरकार बनाने हेतु ,निष्ठावान और कर्तव्य बध हो ।
हमारे देश को ऐसी ही आदर्श शासन व्यवस्था ,
की बहुत जरूरत है ।
संभाले जो बड़े ईमानदारी से अपनी सारी जिम्नेदारी ,
ऐसे चरित्रवान निष्ठावान नेताओं की जरूरत है।