5.किस्सा:- सिंगार रस (लेखक मनजीत पहासौरिया)
दिनधौली मै लूट लिया एक गिरकाणी नै,
चाल्या करगी बरैण जब वा पाणी नै..!!टेक!!
भाले का था भगत मै, काटे बोगी मेरे अगत मै
जाण पाटैगी जगत मै, इसा खेल रचया मरजाणी नै..!!१!!
नेजू डोल था हाथां मै, भलोलिया मै आपस की बातां मै,
रोजणा इब आतां मै, सुनण उसकी बाणी नै..!!२!!
कदम धरै हिरणी की डाल, नैंना के तीरा तै करै घाल,
गेर दिया फेर हुसन जाल, उस अंगहाणी नै..!!३!!
झूठी बढाई करां ना करता, काम लिखण का डरां ना करता,
कहै मनजीत पहासौरिया सरां ना करता, इस जीभ हिलाणी नै..!!४
रचनाकार पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं०:- 09467354911
Emails:- pt.manjeetpahasouriya@gmail.com
©®M.S Pahasouriya