4. किस्सा :- ब्रह्मज्ञान (लेखक मनजीत पहासौरिया)
ज्ञान बिना बन्दे ना दिखै कोये राही
लिया जा तो लेले राम नाम सुखदाई …!!टेक!!
माया की बणी सै ऐसी लकीर
ना बच सक्या कोए संत फकीर
काल रूपी जिब लागै तीर, ना बचै तूं अन्यायी..!!१!!
न्याकारी वो न्याय करै सै,
झूठ साच नै वो तोल धरै सै,
सत की नाव पार तिरै सै , ना आवै कोए कठिनाई..!!२!!
तेरी गाडी सै राम भरोसै,
जी चाहवै जिब तेरे साँस खोसै,
पकड़ तेरी नाड़ मोसै , ना करै कोए सुनाई..!!३!!
कपीन्द्र शर्मा गुरु समझावै,
शुभ कर्मों का फल शुभ थ्यावै,
मनजीत पहासोरिया टहल बजावै, बणकै नै अनुयायी..!!४!!
रचनाकार :- पं मनजीत पहासौरिया
फोन न०:- 9467354911
ईमेल:- pt.manjeetpahasouriya@gmail.com
©®M.S Pahasouriya