Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Apr 2017 · 1 min read

रह जाते अफ़साने दिन

?रह जाते अफ़साने दिन ?

प्रेम के गम से ,
पानी में घुल गए
सुनहरे दिन ,,
या सपनों में खो गए
पुराने दिन !!
प्रेम की खुशबू सहजता वाली
बीते दिन के साथ गई
सांझ ढले सो गया ….
रखकर यादों को उसकी
भुला तो मैं नहीं
याद से उतर गई हो शायद;
सुनहरे दिन गवा करके
रोता रहा रात और दिन
प्रेम में उसके रो-रोकर सुख बंधुआ मजदूर हुए !
अब पैदा हुए सवाल कुछ ??
दुख का कर्ज चुकाने को
कुछ दिन तो और
मिल जाती
खुशी ?
मेरे दिल की धड़कन को
फिर चाहे प्रेम की यादों जैसे
रह जाते अफसाने दिन ……
रह जाते अफसाने दिन …..
✍ चौधरी कृष्णकांत लोधी (के के वर्मा ) बसुरिया नरसिंहपुर मध्य प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 335 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक गिलहरी
एक गिलहरी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मत बांटो इंसान को
मत बांटो इंसान को
विमला महरिया मौज
"कारवाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
रंग बिरंगी दुनिया में हम सभी जीते हैं।
रंग बिरंगी दुनिया में हम सभी जीते हैं।
Neeraj Agarwal
लैला अब नही थामती किसी वेरोजगार का हाथ
लैला अब नही थामती किसी वेरोजगार का हाथ
yuvraj gautam
The Magical Darkness
The Magical Darkness
Manisha Manjari
'स्वागत प्रिये..!'
'स्वागत प्रिये..!'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
* सहारा चाहिए *
* सहारा चाहिए *
surenderpal vaidya
*नींद आँखों में  ख़ास आती नहीं*
*नींद आँखों में ख़ास आती नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बरगद और बुजुर्ग
बरगद और बुजुर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वो साँसों की गर्मियाँ,
वो साँसों की गर्मियाँ,
sushil sarna
🙏😊🙏
🙏😊🙏
Neelam Sharma
■ सियासी व्यंग्य-
■ सियासी व्यंग्य-
*Author प्रणय प्रभात*
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
सत्य कुमार प्रेमी
मै पैसा हूं मेरे रूप है अनेक
मै पैसा हूं मेरे रूप है अनेक
Ram Krishan Rastogi
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
ruby kumari
खुशियाँ
खुशियाँ
Dr Shelly Jaggi
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सदा के लिए
सदा के लिए
Saraswati Bajpai
प्रेम की डोर सदैव नैतिकता की डोर से बंधती है और नैतिकता सत्क
प्रेम की डोर सदैव नैतिकता की डोर से बंधती है और नैतिकता सत्क
Sanjay ' शून्य'
आशा की एक किरण
आशा की एक किरण
Mamta Rani
स्वयं से करे प्यार
स्वयं से करे प्यार
Dr fauzia Naseem shad
बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
कम्प्यूटर ज्ञान :- नयी तकनीक- पावर बी आई
कम्प्यूटर ज्ञान :- नयी तकनीक- पावर बी आई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास* (हास्य कुंडलिया
*घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास* (हास्य कुंडलिया
Ravi Prakash
गंवारा ना होगा हमें।
गंवारा ना होगा हमें।
Taj Mohammad
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
gurudeenverma198
Can't relate......
Can't relate......
Sukoon
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...