Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Dec 2016 · 1 min read

रहे मदहोश हम मद में ,न जब तक हार को देखा

रहे मदहोश हम मद में ,न जब तक हार को देखा
हमें तब होश आया जब समय की मार को देखा

गरीबी से कहीं दम तोड़ते बीमार को देखा
उधर मंदिर में पैसों के लगे अम्बार को देखा

बुराई और अच्छाई सदा ही साथ चलती हैं
जहाँ पर फूल को देखा वहीँ पर खार को देखा

हमारे प्यार की नौका फँसी मझधार में जब भी
कभी फिर धार को देखा कभी पतवार को देखा

मिली छोटे नगर जैसी न गर्माहट वो रिश्तों में
महानगरों के हमने जिस किसी परिवार को देखा

यहाँ हम लक्ष्य पाने को,चले चलते रहे हर पल
कभी इंकार को देखा नहीं इकरार को देखा

वही तो जानते हैं मोल जीवन में बहारों के
जिन्होंने आँख से अपनी यहाँ पतझार को देखा

नहीं है भावना अब ‘अर्चना’ राधा किशन जैसी
यहाँ तो हर तरफ बस प्यार के व्यापार को देखा
डॉ अर्चना गुप्ता

2 Likes · 2 Comments · 470 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
कोंपलें फिर फूटेंगी
कोंपलें फिर फूटेंगी
Saraswati Bajpai
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
बेशर्मी के कहकहे,
बेशर्मी के कहकहे,
sushil sarna
सखी री, होली के दिन नियर आईल, बलम नाहिं आईल।
सखी री, होली के दिन नियर आईल, बलम नाहिं आईल।
राकेश चौरसिया
माँ
माँ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
Kanchan Khanna
Dating Affirmations:
Dating Affirmations:
पूर्वार्थ
जला रहा हूँ ख़ुद को
जला रहा हूँ ख़ुद को
Akash Yadav
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
2712.*पूर्णिका*
2712.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब वक्त ने साथ छोड़ दिया...
जब वक्त ने साथ छोड़ दिया...
Ashish shukla
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
कवि रमेशराज
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
उपहार
उपहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पराया हुआ मायका
पराया हुआ मायका
विक्रम कुमार
जीने की तमन्ना में
जीने की तमन्ना में
Satish Srijan
मज़दूर
मज़दूर
Shekhar Chandra Mitra
मुक्तक -*
मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
Taj Mohammad
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
Dr MusafiR BaithA
ऋतु सुषमा बसंत
ऋतु सुषमा बसंत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
जिसका मिज़ाज़ सच में, हर एक से जुदा है,
जिसका मिज़ाज़ सच में, हर एक से जुदा है,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*गुरु (बाल कविता)*
*गुरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
Anand Kumar
॥ जीवन यात्रा मे आप किस गति से चल रहे है इसका अपना  महत्व  ह
॥ जीवन यात्रा मे आप किस गति से चल रहे है इसका अपना महत्व ह
Satya Prakash Sharma
एक बंदर
एक बंदर
Harish Chandra Pande
सजाता कौन
सजाता कौन
surenderpal vaidya
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
मोरनी जैसी चाल
मोरनी जैसी चाल
Dr. Vaishali Verma
Loading...