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4 Mar 2021 · 1 min read

रस्म़ -ए- उल्फ़त

गिला – शिकवा भुला दीजिए ,
दीवार -ए- नफ़रतें गिरा दीजिए ।
चार दिन की है जिंदगानी ,
रस्म़ -ए- उल्फ़त निभा लीजिए ।।

डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 425 Views
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