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18 May 2017 · 1 min read

रमेशराज के 2 मुक्तक

गुलशन पै बहस नहीं करता
मधुवन पै बहस नहीं करता
वो लिए सियासी दुर्गंधें
चन्दन पै बहस नहीं करता |
+रमेशराज
—————————–
“असुर ” कहो या बोलो-“ खल हैं “
हम मल होकर भी निर्मल हैं |
साथ तुम्हारे ‘ सच ‘ होगा पर-
अपने साथ न्यूज-चैनल हैं ||
+रमेशराज

Language: Hindi
298 Views
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