Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2017 · 3 min read

रमेशराज का एक पठनीय तेवरी संग्रह “घड़ा पाप का भर रहा ” +डॉ. हरिसिंह पाल

+डॉ. हरिसिंह पाल
———————————————————–
समीक्ष्य कृति “घड़ा पाप का भर रहा ” की पंक्तियाँ समकालीन समाज की विसंगतियों , विरोधाभासों और विद्रूपताओं पर करारी चोट करती प्रतीत होती हैं | काव्यकला निश्चय ही भाषा द्वारा भावों की साधना होती है , इस कला में आप (रमेशराज) निपुण हैं | आपकी यह लम्बी तेवरी मन को छूती है
“घड़ा पाप का भर रहा ” नामक काव्य कृति तेवरी काव्य विधा को समर्पित कथ्य और शिल्प की दृष्टि से पठनीय कृति है | रमेशराज ने तेवरी विधा को प्रतिष्ठापित करने में जो सक्रिय भूमिका निभाई है वह सराहनीय है | आप मेरे गृह जनपद अलीगढ़ में रहकर साहित्य की सेवा कर रहे हैं , यह मेरे लिए आत्मीयता से परिपूर्ण तथ्य है , दूसरे आप और हम लगभग समवयस्क भी हैं | आपकी साहित्यिक उपलब्धियां आकर्षित करती हैं |
“घड़ा पाप का भर रहा ” कृति की लम्बी तेवरी मन को छूती है इसके लिए रमेशराज विशेष बधाई के पात्र हैं | “मौत न हो ” विषय को लेकर आपने “तेवर शतक ” की रचना कर दी , यह हिंदी काव्य जगत की अनूठी घटना है | आपकी ये पंक्तियाँ तो तेवरी को ही व्याख्यायित कर देती हैं ….
शब्द शब्द से और कर व्यंग्यों की बौछार
यही कामना तेवरियों में अभिव्यंजन की मौत न हो |
साथ ही अपने ग़ज़ल और तेवरी का सीमांकन कर नयी दिशा दी है-
आलिंगन के जोश को कह मत तू आक्रोश
ग़ज़लें लिख पर कथ्य काफ़िया और वज़न की मौत न हो |
तेवरीकार श्री रमेशराज द्वारा रचित तेवरी संग्रह “ घड़ा पाप का भर रहा ” की तेवरियों में भाव की प्रवहमन्यता के आगे भाषा की दीवार भरभराकर गिर पड़ी है | हिंदी के तत्सम तद्भव और देशज शब्दों के साथ-साथ आंग्ल और अन्य विदेशी ( अरबी, फारसी, पुर्तगाली आदि ) के भी शब्द बेरोकटोक बहते चले आये हैं | यथा – टाई पेंट, सूट | जहाँ अंग्रेजी के शब्द – गारंटी, डिस्कोक्लब, शर्ट, ऑनरकिलिंग , सिस्टम , कमेटी आदि प्रयुक्त हुए हैं वहीं उर्दू के रहबर, दलाल, जुआ, यार , दावपेंच, शाद, रौशनी, जोश, काफिया, खाक , आफत , खिलवाड़ , बर्बर , फतह , जंजीर , तंगजहन आदि शब्दों के साथ –साथ नये-नये शब्द अपनी ओर से गढ़कर तेवरीकार ने तेवरी की आत्मा में जगह बनाये रखने में सफलता पायी है तथा नव चटकन , नव चिन्तन , वलयन, हिंदीपन , किलकन , घुटुअन , काव्यायन, शब्दवमन, आयन , जैसे शब्दों का प्रयोग निस्संदेह शब्दसाधना का ही सुपरिणाम है |
“ घड़ा पाप का भर रहा ” तेवरी संग्रह की लम्बी तेवरी के अंत में सर्प कुण्डली राज छंद में तेवरी प्रस्तुत कर श्री रमेशराज ने एक अभिनव प्रयोग किया है जो पूर्णतया सफल है |हिंदी का ‘सिंहावलोकन’ छंद भी लगभग इसी प्रकार का है | ‘सिंहावलोकन’ में जहाँ काव्यपंक्ति का अंतिम काव्यांश अगली काव्य पंक्ति का अंश बनता है वहीं सर्प कुण्डली में काव्यपंक्ति का अंतिम काव्यांश या अर्धाली अगली पंक्ति को बनाती है | अस्तु एक ही पुस्तकनुमा कृति में काव्य के दो दो छंदों से सहज ही परिचय हो जाता है |
श्री रमेशराज की पत्रिका ‘तेवरीपक्ष ’ मन को आनन्द प्रदान करती है | तेवरी साहित्य यात्रा अनवरत जारी रहे , यही वाग्देवी से प्रार्थना है
” घड़ा पाप का भर रहा ” तेवरी श्री रमेश राज जी का लाजबाब तेवरी शतक है | इसमें हिन्दी छंद का प्रयोगधर्मी स्वरुप आपको देखने को मिलता है | इस शतक के प्रत्येक तेवर की पहली पंक्ति दोहे की अर्धाली ( 13 , 11 पर यति ) व् दूसरी पंक्ति चौपाई छंद ( 16 मात्राएँ पर यति , व् 14 मात्राएं पर विराम लिए हुए हैं )| इस शतक का एक एक तेवर तलवार की धर से भी अधिक पैना है | इस शतक के तेवर एक ओर जहाँ कुव्यवस्था पर वार करते हैं वहीं दूसरी ओर सुव्यवस्था की राह भी सूझाते हैं | “हाथ उठा सबने किया , अत्याचार विरोध | जड़ने के संकल्प न टूटें, अनुमोदन की मौत न हो ” इतना ही नहीं भोली भाली जनता को आगाह करते हुए कहते हैं कि – “ये बाघों का देश है , जन जन मृग का रूप | अब तो चौकस रहना सीखो , किसी हिरन की मौत न हो |” इतना ही नहीं आगे जनता को समझाते हुए कहते हैं कि “संसद तक भेजो उसे जो जाने जन -पीर | नेता के लालच के चलते , और वतन की मौत न हो ” |
रमेशराज जी लम्बी तेवरी-तेवर शतक “घड़ा पाप का भर रहा ” की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है | रमेश जी गागर में सागर भर दिया है | जनमानस के सरोकारों को मुखरित करने के लिए रमेशजी की रचना धर्मिता प्रसंशनीय है | तेवरी विधा में यह शतक हिन्दी साहित्य में मील का पत्थर साबित होगा | रमेश जी को एवं उनकी लेखनी को हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं |
——————————————————————–
+डॉ. हरिसिंह पाल , प्रसारक – आकाशवाणी , दिल्ली

Language: Hindi
Tag: लेख
416 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सुबह की किरणें "
Yogendra Chaturwedi
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
Neelam Sharma
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
सकारात्मकता
सकारात्मकता
Sangeeta Beniwal
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
💐अज्ञात के प्रति-77💐
💐अज्ञात के प्रति-77💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
Basant Bhagawan Roy
इस दौर में सुनना ही गुनाह है सरकार।
इस दौर में सुनना ही गुनाह है सरकार।
Dr. ADITYA BHARTI
પૃથ્વી
પૃથ્વી
Otteri Selvakumar
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
वह
वह
Lalit Singh thakur
बर्फ के टीलों से घर बनाने निकले हैं,
बर्फ के टीलों से घर बनाने निकले हैं,
कवि दीपक बवेजा
आया क़िसमिस का त्यौहार
आया क़िसमिस का त्यौहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जीत से बातचीत
जीत से बातचीत
Sandeep Pande
वसुत्व की असली परीक्षा सुरेखत्व है, विश्वास और प्रेम का आदर
वसुत्व की असली परीक्षा सुरेखत्व है, विश्वास और प्रेम का आदर
प्रेमदास वसु सुरेखा
भाई बहिन के त्यौहार का प्रतीक है भाईदूज
भाई बहिन के त्यौहार का प्रतीक है भाईदूज
gurudeenverma198
* सुनो- सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की (गीत)*
* सुनो- सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की (गीत)*
Ravi Prakash
फितरत
फितरत
Awadhesh Kumar Singh
वृक्षों के उपकार....
वृक्षों के उपकार....
डॉ.सीमा अग्रवाल
3183.*पूर्णिका*
3183.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
*सखी री, राखी कौ दिन आयौ!*
*सखी री, राखी कौ दिन आयौ!*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हमने क्या खोया
हमने क्या खोया
Dr fauzia Naseem shad
वक्त बर्बाद करने वाले को एक दिन वक्त बर्बाद करके छोड़ता है।
वक्त बर्बाद करने वाले को एक दिन वक्त बर्बाद करके छोड़ता है।
Paras Nath Jha
जख्मों को हवा देते हैं।
जख्मों को हवा देते हैं।
Taj Mohammad
योग न ऐसो कर्म हमारा
योग न ऐसो कर्म हमारा
Dr.Pratibha Prakash
"ये याद रखना"
Dr. Kishan tandon kranti
नैनों के अभिसार ने,
नैनों के अभिसार ने,
sushil sarna
* तुम न मिलती *
* तुम न मिलती *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जो ना होना था
जो ना होना था
shabina. Naaz
Loading...