रखो साथ विवेक सदा
न खोए विवेक कभी
चाहे हो कितना ही
मुश्किल समय
चलती है
जिन्दगी सुगम
कर्मठता और
ईमानदारी से
साथ हो अगर
विवेक साथ
सोने पे
सुहागा हो जाए
है
दुनियां की
पूँजी
सबसे बड़ी
हिम्मत
बदल जाती है
ये कर्मठता में
हो साथ
अगर विवेक
विवेक है
जीवन का
एक सत्य
जितना रहोगे
पास इसके
पाओगे सफलता
उतनी जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल