Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2017 · 2 min read

“रक्षा कवच”

सत्या के अति इमानदार पिता यूँ तो
सरकारी महकमें में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत थे पर सत्या को माँ के उदर में स्थापित हुए अभी कुछ पंद्रह हफ्ते ही हुए थे कि पिता अचानक एक दिन ईश्वर को प्यारे हो गए,पीछे छूट गए अनपढ़,भोली उन्नत होते उदर के साथ माँ की उँगली थामे सात वर्ष की जीतो ,अनाश्रय और गरीबी।अब तो सहारे के लिए कुछ रिश्तेदारों का मुँह देखने के अलावा कोई चारा न रहा ,जीतो तो थी ही, एक और कन्या सत्या भी अवतरित हो
गई । सब कहते शक्ल सूरत की खास ना होते हुए भी जीतो बड़ी भागवान है।खाता कमाता वर मिल गया निसन्तान दुहेजू हुआ तो क्या!उधर सत्या की भी शक्ल दिखाई देेने. लगी,दूध सी उजली रंगत,कच्चे खीरे सी पनीली नर्म त्वचा ्गालों पर उतरती कचनार की पंखुरियाँ,प्यारी ,मासूम गुड़िया सी सत्या को देख माँ का हृदय उसके सुखी भविष्य के लिए हर वक्त अंदर ही अंदर प्रार्थना में लीन रहता ।चारों तरफ से अभाव की मार,न ढंग का खाना मयस्सर न चैनोआराम फिर भी बारह बसंत गुजरने से पहले ही सत्या के सौन्दर्य की महक हवाओं में ऐसे घुलने लगी जैसे ताज़े गुलाब की खुशबू,किसी के हृदय में उसे देख ममत्व का सागर लहराता तो कोई ईर्ष्या भी करता,पर कौन नहीं जानता नरव्याघ्र भी तो इसी समाज में पलते हैंं मात्र तेरह वर्ष की सत्या को माँ ने रातों रात चुपचाप पड़ोस के दोगुनी से भी ज्यादा वय के भिक्शु से ब्याह दिया ,इससे पहले कि आश्रयदाता अरब शेख से सौदा मुकम्मल कर पाते..
अपर्ण थपलियाल”रानू”
१.०५.२०१७

Language: Hindi
594 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
श्याम सिंह बिष्ट
"गुलशन"
Dr. Kishan tandon kranti
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
जीवन में ऐश्वर्य के,
जीवन में ऐश्वर्य के,
sushil sarna
लौट आओ तो सही
लौट आओ तो सही
मनोज कर्ण
हरि का घर मेरा घर है
हरि का घर मेरा घर है
Vandna thakur
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
Kailash singh
जात-पांत और ब्राह्मण / डा. अम्बेडकर
जात-पांत और ब्राह्मण / डा. अम्बेडकर
Dr MusafiR BaithA
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
पूर्वार्थ
কেণো তুমি অবহেলনা করো
কেণো তুমি অবহেলনা করো
DrLakshman Jha Parimal
दीवाली
दीवाली
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
Keshav kishor Kumar
*किस्मत में यार नहीं होता*
*किस्मत में यार नहीं होता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
Harsh Nagar
2878.*पूर्णिका*
2878.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वार्थ से परे !!
स्वार्थ से परे !!
Seema gupta,Alwar
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
Dushyant Kumar Patel
जीवन !
जीवन !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
शेखर सिंह
तुम सम्भलकर चलो
तुम सम्भलकर चलो
gurudeenverma198
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
Rajesh Kumar Arjun
शर्म शर्म आती है मुझे ,
शर्म शर्म आती है मुझे ,
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
लक्ष्मी सिंह
मुझ पर तुम्हारे इश्क का साया नहीं होता।
मुझ पर तुम्हारे इश्क का साया नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दरक जाती हैं दीवारें  यकीं ग़र हो न रिश्तों में
दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में
Mahendra Narayan
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...