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7 Aug 2017 · 1 min read

रक्षाबंधन

बहना हर राखी पर हमको याद तुम्हारी आती है।
बचपन की वो सारी बातें आ आ हमें सताती हैं।।
कैसे तुम मम्मी से मेरी सभी शिकायत करती थी।
और सजा मिलने पर मुझको छुप कर रोया करती थीं।।
कितना हम लड़ते थे फिर भी खाना साथ मे खाते थे।
कैसे हाथ में हाथ डालकर पढऩे जाया करते थे।।
जब जब खैचता था मैं चोटी तब तुम रोया करती थी।
और फिर जब तुम थक जाती तो निचे सोया करती थी।।
कयों वो बचपन चला गया कयों हम अब खेल नहीं सकते।
राखी पर यदि मिलना चाहे फिर भी हम मिल नहीं सकते।।

Language: Hindi
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