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30 Sep 2020 · 1 min read

रंग उजला हो गया किरदार का

ये असर मुझ पर हुआ है प्यार का
रंग उजला हो गया किरदार का

है न हिंसा ही ज़रूरी सच कहूँ
रास्ता अच्छा नहीं यलग़ार का

आज महंगाई बढ़ी है इस क़दर
जीना मुश्क़िल मुफ़लिसो-लाचार का

कीमतें होतीं यहाँ पर तय सभी
खेल है ये जिस्म के बाज़ार का

दिल की तो कीमत नहीं बाज़ार में
दाम होता जिस्म के भी प्यार का

झूट बोले काम जो गन्दे करे
साथ छोड़ो ऐसे भी मक्कार का

जो दिलों के बीच नफ़रत की खड़ी
ख़ात्मा कर ऐसी किसी दीवार का

जीत भी ‘आनन्द’ होगी फिर तेरी
सामना कर सब्र से मंझधार का
– डॉ आनन्द किशोर

1 Like · 128 Views
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