ये है हिन्दुस्तान हमारा
निर्जीवों में भरा उजाला,
जीवों में अंधियारा|
पत्थर मूरत लड्डू खावै,
पंडा घर उजियारा ||
मूरख मिल सब मंगल गावैं,
फूँकें शंख स्वान |
ये है हिन्दुस्तान हमारा ये है हिन्दुस्तान |
अंधभक्त बाबा त्यागी के,
पूजें दिन और रात|
बाबा खावै रसमलाई,
भक्तन मिले खैरात ||
दर-दर भटके चेला मूरख,
बाबा सोवै दे तान||
ये है हिन्दुस्तान हमारा ये है हिन्दुस्तान|
गरज पड़ी तो भाई-भाई,
वरना जात अनेक|
तुम नीचे हम ऊँचे तुमसे,
सबसे बड़ा विवेक||
लाँघो न दहलीज मयंक,
पड़ेगी फीकी शान|
ये है हिन्दुस्तान हमारा ये है हिन्दुस्तान|
✍के.आर.परमाल ‘मयंक’