Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2016 · 1 min read

ये संसार भी बेटियों से चला है

ये संसार भी बेटियों से चला है
अगर पास बेटी तो ये इक दुआ है

पराई क्यों बेटी को कहते हो लोगों
हमें प्यार सच्चा उन्हीं से मिला है

अगर कोख में मार डाली है बेटी
कोई पाप इससे न जग में बड़ा है

इधर कन्या पूजन उधर उनसे नफरत
ये कितना बड़ा सोच में फासला है

बड़ा सुख है औलाद का,बाँट इसको
यहाँ बेटियों बेटों में क्यों दिया है

नियम हम खुदा के अगर तोड़ते हैं
तो मिलती भी इसकी यहाँ पर सज़ा है

नहीं बेटियां गर सुरक्षित यहाँ पर
तो इसमें हमारी ही देखो खता है

न संस्कार अच्छे दे बच्चों को पाये
तभी मूल्यों का स्तर भी इतना गिरा है

नज़र ही नही अब नज़रिया भी बदलो
नहीं बोझ बेटी ये बस ‘अर्चना’ है

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद (उ प्र )

549 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
शिव हैं शोभायमान
शिव हैं शोभायमान
surenderpal vaidya
💐प्रेम कौतुक-207💐
💐प्रेम कौतुक-207💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
Soniya Goswami
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
Vishal babu (vishu)
*औपचारिकता*
*औपचारिकता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चलो मतदान कर आएँ, निभाएँ फर्ज हम अपना।
चलो मतदान कर आएँ, निभाएँ फर्ज हम अपना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जीवन
जीवन
Rekha Drolia
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
Neerja Sharma
*मुक्तक*
*मुक्तक*
LOVE KUMAR 'PRANAY'
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
Ranjeet kumar patre
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Neelam Sharma
कसौटी
कसौटी
Sanjay ' शून्य'
■ भड़की हुई भावना■
■ भड़की हुई भावना■
*Author प्रणय प्रभात*
*छंद--भुजंग प्रयात
*छंद--भुजंग प्रयात
Poonam gupta
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
🌿 Brain thinking ⚘️
🌿 Brain thinking ⚘️
Ms.Ankit Halke jha
*आइए स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें (घनाक्षरी : सिंह विलोकित
*आइए स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें (घनाक्षरी : सिंह विलोकित
Ravi Prakash
ञ माने कुछ नहीं
ञ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
विपरीत परिस्थितियों में भी तुरंत फैसला लेने की क्षमता ही सफल
विपरीत परिस्थितियों में भी तुरंत फैसला लेने की क्षमता ही सफल
Paras Nath Jha
मेरी सिरजनहार
मेरी सिरजनहार
कुमार अविनाश केसर
वाराणसी की गलियां
वाराणसी की गलियां
PRATIK JANGID
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दोहा त्रयी. . . शंका
दोहा त्रयी. . . शंका
sushil sarna
सबके सामने रहती है,
सबके सामने रहती है,
लक्ष्मी सिंह
तारीख़ के बनने तक
तारीख़ के बनने तक
Dr fauzia Naseem shad
"तरीका"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार ~ व्यापार
प्यार ~ व्यापार
The_dk_poetry
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह "reading between the lines" लिखा है
SHAILESH MOHAN
तुम्हारा घर से चला जाना
तुम्हारा घर से चला जाना
Dheerja Sharma
जो भी आ जाएंगे निशाने में।
जो भी आ जाएंगे निशाने में।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...