ये रंगों का महापर्व खुशियां फिर ले आएगा…
ये रंगों का महापर्व खुशियां फिर ले आएगा…
भूल न जाना अपनेपन को फिर एहसास दिलाएगा…
तुम न बदलो मन को अपने होली के रंगों को…
रिश्तों में घुली मिठास फिर ताज़ा कर जाएगा…
श्वेत हरा नीला पीला,हर रंग बिन भेद फिर मिल जाएगा…
धर्म जाति मज़हब भूल,गले मिलना सिखलायेगा…
इंसा को इंसा से मिलना,प्रेम सदभाव फिर लायेगा…
तेरा-मेरा ये भेद भुला,हमपन फिर बतलायेगा…
छोटे-बड़ो में स्नेह-अपनत्व फिर से लौटा लायेगा…
ये रंगों का महापर्व खुशियां फिर ले आएगा…
(रंगपंचमी सदभावना स्नेहोत्सव की सभी को हार्दिक शुभकामनायें..?)
✍कुछ पंक्तियाँ मेरी कलम से : अरविन्द दाँगी “विकल”