ये दुनिया बहुत निराली है
ये दुनिया बहुत निराली है
इस गुलशन बहार में फूल तो बहुत है।
मगर कीचड़ में खिले कमल जैसा,,
कोमल और सौन्दर्यता से परिपूर्ण कोई दूजा नही।।
आसमाँ में जाने कितने अनगिनत तारे सितारे है।।
मगर चाँद के आगे सबका प्रकाश धीमा और फीका है।
जमाने मे कितनी असंख्य इमारते अपनी
सौंदर्य कला आकृति के लिए प्रसिद्ध है।
मगर दुनिया में ताजमहल के आगे,,,,,
सबकी नक्काशी फीकी और कहां टिकी है।।
इस भारत वर्ष में कई नदिया अपनी प्रबल
धारा में बहती है।
मगर गंगा के समान जो असंख्य पापों को धो दे
ऐसी दूजी हर हर गंगे माँ नर्मदा है।।
इस विश्व मे अनेको बड़े बड़े शक्तिशाली देश है,,,
मगर मेरे हिंदुस्तान जैसा कोई नही यहां
अनेकता में भी एकता बरकार है।
भारत मे अनेक गीत और संगीत गायें गये है,,,
मगर वंदेमातरम औऱ राष्ट्रगान के जैसे कोई नही है।
जय हिंद जय भारत