Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2018 · 1 min read

यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।

? ? ? ? ?
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
हम दिल की पीड़ा अश्क से धोते चले गये।।

बड़ी ही बेरहमी से जज्बातों का कत्ल कर,
रिश्तों की अहमियत वो भूलाते चले गये।

ताउम्र साथ देने का वादा किया था जो,
आज बीच राह पर हमें छोड़कर चले गये।

पलकों पर बिठाया जिसे अपना बनाया था,
कतरा-कतरा हर ख्वाब बिखरते चले गये।

जेब क्या फटी सभी रिश्ते-नाते गये बिखर,
जो कहते थे अपने हैं छोड़कर चले गये।

रिश्ते खून के सभी होते जा रहे धूमिल,
स्वार्थ लिप्त हो सभी हाथ छुड़ाते चले गये।

रिश्ते ना हुई कि पेंसिल की लिखावट जैसी,
जिसे भी देखो रबर से मिटाते चले गये।

जीवन में रिश्तों की अहमियत को मान कर,
हर रिश्तों पर कुर्बान हम होते चले गये।
? ? ? ? -लक्ष्मी सिंह ? ☺

143 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
क़ीमती लिबास(Dress) पहन कर शख़्सियत(Personality) अच्छी बनाने स
क़ीमती लिबास(Dress) पहन कर शख़्सियत(Personality) अच्छी बनाने स
Trishika S Dhara
Collect your efforts to through yourself on the sky .
Collect your efforts to through yourself on the sky .
Sakshi Tripathi
सत्य का संधान
सत्य का संधान
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
सत्य कुमार प्रेमी
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
पुस्तकें
पुस्तकें
डॉ. शिव लहरी
उसकी करो उपासना, रँगो उसी के रंग।
उसकी करो उपासना, रँगो उसी के रंग।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बारिश की संध्या
बारिश की संध्या
महेश चन्द्र त्रिपाठी
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
"इस्तिफ़सार" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
Rajesh Kumar Arjun
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
#देश_उठाए_मांग
#देश_उठाए_मांग
*Author प्रणय प्रभात*
सरहद
सरहद
लक्ष्मी सिंह
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
Rj Anand Prajapati
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
वो नई नारी है
वो नई नारी है
Kavita Chouhan
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
कवि दीपक बवेजा
*वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिक
*वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिक
Ravi Prakash
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
gurudeenverma198
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अल्प इस जीवन में
अल्प इस जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
Pramila sultan
प्यार का इम्तेहान
प्यार का इम्तेहान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2450.पूर्णिका
2450.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...