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3 Jun 2019 · 1 min read

यूँ किस्तों में ये ज़िंदगानी लुटा दी

यूँ किस्तों में ये जिंदगानी लुटा दी
कहीं जाँ कहीं पे जवानी लुटा दी

बड़े नाज से माँ ने पाला था मुझको
नादानी में उनकी निशानी लुटा दी

संभाला बहुत पर न बस में रहा जब
सभी यादें तेरी पुरानी लुटा दी

पिघल ही गया मोम सा मैं भी आखिर
जो देखा तुम्हें बदगुमानी लुटा दी

मुझे रास आया खिजाओं का मौसम
तुम्हारे लिए रुत सुहानी लुटा दी

– ‘अश्क़’

1 Like · 257 Views
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