युवा शक्ति
समुद्र की उत्ताल तरंगों सी उमंगे लिए ,
पर्वत सा अटल ह्रदय समाहित किए ,
रमणीय प्रकृति सा स्वभाव लिए ,
गगन सी उत्तुंग मन की उड़ान लिए ,
सद्भाव , सुविचार एवं संस्कार समाहित किए ,
आकांक्षाआं , अभिलाषाओं , एवं अनुसंधान परिपूर्ति हेतु संकल्पित भाव लिए ,
क्यों अब दिग्भ्रमित हो रही यह उन्माद लिए ?
क्यों विवश है मानसिकता संचालित स्वार्थी तत्वों के लिए ?
क्यों सदाचार , स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास संकल्पित भाव विलुप्त है ?
क्यों वातावरण में अशांति , हिंसा, द्वेष ,क्लेष , एवं संताप व्याप्त है ?
क्यों प्रगति शून्य , लक्ष्यविहीन युवा अधोगति के पथ पर अग्रसर है ?
आव्हान कर , नष्ट करो इस व्याप्त तंद्रा तिमिर को ,
जागृत करो , नवचेतन प्रकाश से युवा मनस को ,
अहिंसा, प्रेम , शांति , सदाचार स्थापित कर ,
हो प्रगति पथ पर युवा शक्ति अग्रसर ,