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5 Mar 2021 · 1 min read

यादों के फूलों की टोकरी

हर रात
सपनों में आते हो
सुबह के चेहरे पर
सूरज की लाल किरणों की
मद्धिम लालिमा पड़ते ही
एक पेड़ की डाल पर बैठी
चिड़िया से
हवा में
फुर्र से उड़ जाते हो
तुम कानों में क्या
कहते हो
ठीक से सुनाई भी नहीं
पड़ता
सुबह आंख खुलने पर
पूरा पूरा याद भी नहीं
रहता
लेकिन खुशी का एक दरिया
आंखों से बह जाता है कि
तुम सपनों में रोज आकर
मुझसे कम से कम
बात तो करते हो
अपने होने का अहसास तो
कराते हो
होठों पर मेरे दिन भर के लिए
ही सही पर
एक मुस्कान की कली तो
खिलाते हो
तुम न मुझे कोई फूल या
चांद की तरह नजर आते हो
अभी भी दिखते हो
जैसे थे
वही के वही
रात को तो सपने में
पूरा अस्तित्व लिए
लेकिन दिन में
अपनी यादों के फूलों की
टोकरी सिर पर उठाये उठाये
मेरे दिल की बगिया की
पगडंडियों पर
चहलकदमी करते
नजर आते हो।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
408 Views
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