Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2016 · 2 min read

यादों का बटुआ

यादों का बटुआ
**************
कल ही हाथ लग गया था
१२वीं का परिचय पत्र कम बटुआ
मेरी यादों का बटुआ
अचानक छन से उछल पड़ी थी
यादें ज़ेहन में कहीं दूर
निहारता रहा मैं खुद को
और मेरे लब मुस्कुराते चले गए
देख डाली सारी जेबें
मगर कुछ न मिला
सिवाए मेरे परिचय के
एक वक्त था
जब सिमटी रहती थी इसमें
कुछ पुर्जियां
लिखी होती थी शायरियां उन पर
जो अक्सर उतार देता था मैं
याद में किसी की
लिखा था एक पत्र भी
मेरे अज़ीज़ दोस्त के संग
फिर लिखवाया उसका नाम
करीने से एक आर्टिस्ट दोस्त से
नाम वास्तविक नहीं था वो
बल्कि वो जो हमने दिया था
“भारत” यही तो कहते थे उसे हम
वो मेरा पहला लव लैटर था
जिसमे उड़ेल दिए थे
जज्बात सारे
कितनी हिम्मत लगती है
लिखने में एक प्रेम पत्र
उसी दिन आभास हुआ था मुझे
कभी दे ही नहीं पाया मैं उसको
वो मुझसे हंसकर बात भी करती थी
मगर मैं ही थोडा सा डरपोंक था
कह ही न सका मैं दिल की बात
बस यूँ ही रखा रहा वो पत्र
मेरे परिचय पत्र के भीतर
और यूँ ही दम घुट गया
मेरे अनाम इश्क का ,
एक रोज मिली थी बस में
अपनी शादी के बाद
और धीरे से कहा था मैंने उसको
कुछ और भी माँगा होता मैंने आज
मुझे अवश्य ही मिल गया होता
पूछी थी वजह उसने इस बात की
धीरे से कही थी मैंने दिल की बात
आज सुबह से ही दिल कह रहा था
और मैंने भी मांगी थी दुआ भगवान् से
काश आज तुमसे मुलाकात हो पाती
और देखो ! तुम यहाँ हो मेरे पास ,
कुछ नहीं कहा उसने
बस यूँ ही नजरें झुका ली
मैं देखता रहा उसको
निहारता रहा रास्ते भर
उसकी मचलती उँगलियों को
और अंत में उतर कर चल दिए दोनों
अपने अपने घर की तरफ |

“सन्दीप कुमार”

Language: Hindi
1 Comment · 333 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आदिपुरुष समीक्षा
आदिपुरुष समीक्षा
Dr.Archannaa Mishraa
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
रंगों का त्योहार होली
रंगों का त्योहार होली
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मैं आँखों से जो कह दूं,
मैं आँखों से जो कह दूं,
Swara Kumari arya
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
Paras Nath Jha
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
लक्की सिंह चौहान
पत्तों से जाकर कोई पूंछे दर्द बिछड़ने का।
पत्तों से जाकर कोई पूंछे दर्द बिछड़ने का।
Taj Mohammad
दृष्टि
दृष्टि
Ajay Mishra
होली का त्यौहार
होली का त्यौहार
Kavita Chouhan
एक गलत निर्णय हमारे वजूद को
एक गलत निर्णय हमारे वजूद को
Anil Mishra Prahari
शहर में नकाबधारी
शहर में नकाबधारी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कोई मंझधार में पड़ा है
कोई मंझधार में पड़ा है
VINOD CHAUHAN
महादेव का भक्त हूँ
महादेव का भक्त हूँ
लक्ष्मी सिंह
संयम
संयम
RAKESH RAKESH
अंबेडकर की रक्तहीन क्रांति
अंबेडकर की रक्तहीन क्रांति
Shekhar Chandra Mitra
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी अकेले हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी अकेले हैं।
Neeraj Agarwal
■ मनुहार देश-हित में।
■ मनुहार देश-हित में।
*Author प्रणय प्रभात*
पूछी मैंने साँझ से,
पूछी मैंने साँझ से,
sushil sarna
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
" कू कू "
Dr Meenu Poonia
#डॉ अरूण कुमार शास्त्री
#डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
Keshav kishor Kumar
हो गई है भोर
हो गई है भोर
surenderpal vaidya
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
Dr. Kishan Karigar
वृक्ष बन जाओगे
वृक्ष बन जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
क्रोध
क्रोध
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
Shweta Soni
3069.*पूर्णिका*
3069.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...