यादें
यादें
जिंदगी गुजरने लगी है धीमी धीमा चाल से,,,,,,
आज गुमसुम बैठे है हम तेरी ही याद में,,,,,,,,,।।
बड़ी कशमकश है ये जिंदगी भी हमारी दोस्तों,,,,,
हर तरफ खड़ी है नफरत की दीवारें दोस्तों,,,,,,,,।।।
गुज़रे हुए लम्हों की क्या दास्तां सुनाये,,,,,,,।।।
जो थे अपने आज वही हो गये है पराये।।।।।।।
नदियों की जल धारा संग बह गये सारे अरमाँ,,,,,,,।
हुआ न हम पर आज तक कोई शख्स मेहरबां।।।।।।
यादों का चिराग़ दिन रात सीने में मेरे जलता है,,,,,,,
क्यों भुला दिया हमे सनम ने यही विचार मन मे खलता है।।।।।।।। ।।।।
गुज़रे लम्हों को याद कर थोड़ा मुस्कुरा लेती हूँ,,,,,
थकी सी इस जिंदगी को पल दो पल ही हँस कर गुजार लेती हूँ।।
राज उनका है आज तक सीने में दफ़न,,,,,,,,,,।।।
आएगी मौत हमारी तो कौन ओढायेगा हमे कफ़न।।
इस उदासी भरी जिंदगी को कैसे गुजार दूँ,,,,,,,,।।।
सोचती हूँ जिसने दिये मुझे तौफे में गम उसको क्या इनाम दूँ।।
स्वरचित रचना
गायत्री सोनू जैन
मंदसौर
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