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26 Jul 2016 · 1 min read

यादें

तेरी यादों की गठरी को सुलगता छोड़ आया हूँ
कभी जो ख्वाब था देखा सिसकता छोड़ आया हूँ।
हमारा दिल जो बच्चा था अभी घुटनों ही चलता है
उसे मैं घर के आँगन में सुबकता छोड़ आया हूँ ।–आरसी

Language: Hindi
523 Views
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