**यह मेरा जीवन है–भाग 1
लगी कर्म की भूख थी ऐसी, जो मिला उसे स्वीकार किया।
आना कानी करी कभी न, ना ही कभी इंकार किया।।
**यह मेरा जीवन है।**
समझदारी का तमगा पाया ,खुद को मैंने तो समझाया।
पल प्रतिपल अपने जीवन को, कर्म क्षेत्र में लगाया।।
**यह मेरा जीवन है।**
जीवन को संग्राम है समझा, सद वृत्ति के लिए ही गरजा।
संतुष्टि से चलता रहा मै, मिला सुकून का मुझको दर्जा।।
**यह मेरा जीवन है।**
राजेश व्यास अनुनय