Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2017 · 4 min read

यह भी सच है

यकीनन् गर हम अपनी वर्तमान परिस्थिति में जीना मतलब लुफ्त उठाना सीख लें तो बात ही क्या. खैर काफी लम्बे समय से एक अच्छा इन्सान बनने की जद्दोजहद तो कर रहा हूँ पर जवानी और बचपने का उफान इतना भयानक है कि जब तक अच्छाइयों की लकीरें मतलब वजूद वाली दीवार बनती है, चन्द मिनट भी नहीं लगते, रूढ़िवादी परम्पराएँ, समाजिक मिथ्या, घोर अन्धी आधुनिकता और फूहड़पन तूफान बनकर इन सब चन्द अच्छाइयों की दीवारों का ढ़हा जाता है. अफ़सोस तो रहता ही है मगर करें तो क्या ? फिर उस सिलसिले को और तेज कर देता हूँ, कुछ चन्द अच्छे लोगों से बातें करना, उनसे सीखना, समझना और आगे बढ़ना फिर यकीऩ के साथ शुरू कर देता हूँ. खैर मायानगरी में जिन्दगी जी ही रहा था कि घर वालों की याद सताने लगी, लम्बे समय का इंतजार भी था कि घर जाऊ, ताऊ जी और सारे वृद्धों से मिलू, कुछ गुर सीखूँ, उनकी पहेलियाँ बुझ्झूँ, और पुरानी यादों को ताजा करू. घर तो जैसे तैसे पहुँच ही गया, समय भी बीत चला, पर वक्त कहाँ मिलता. फिर वही बात, जवानी और बचपना….. खैर घर से मायानगरी के लिए लौट ही रहा था तो एक दिलचस्प वाकया हुआ, दिल हुआ कि कलम बद्ध करू फिर करने भी लगा…

“आराम से जाना, अपना ध्यान रखना, हलुवा और पूड़ी बैग में रखी हूँ समय पर खा लेना, जैसे जैसे पहुँचना फोन करते रहना और दोबारा जल्दी आना….” बोलते बोलते माँ की आँखें नम हो आयी. मै भी दिल को जैसे तैसे तसल्ली देकर कदम बढ़ा चुका था. अगले कुछ मिनटों तक माँ की यादें दिल को झझकोरती रहीं. अचानक मोबाइल की घंटी बजी. टिन् टिन् टिन्…..
मोबाइल जेब से निकलते ही मेरी स्क्रीन पर नज़र गई. ओह आरती का फोन, ड़र भी लग रहा था कि गर बात करू और कहीं भइया सुन ले तो और हंगामा. बचपन से अब तक का भोलापन एक मिनट में अवारगी में बदल जाएगा. यही बोलेंगे कि जब से नौकरी मिली है, बह गया है ससुरा, मनमानी हो गया है …… खैर अन्ततः सोच विचारकर मैने फोन उठा ही लिया.
हलो , भ भ भ …भइया
जी, नमस्ते ड़ियर. कैसे हो ?
ठीक हूँ.
आपने मिलने का प्रोमिस किया था, भूल गए, बस यही प्यार है ?
नही भइया, इस बार जरूर आउगा और बाद में बात करूँगा. बाँय
इतना कहकर मैने फोन कट कर दिया. जैसे तैसे जान बची, कही आरती मुँह से निकल जाता तो ….. शायद आरती भी समझ गई थी कि कोई है इसलिए मै भइया बोल रहा हूँ.

“बहुत मौके से पहुँचे, बस छूटने ही वाली थी” भइया इतना कहते हुँए बस की बीच की सीट पर जा बैठे. यात्री थोड़ा कम थे, इसलिए कन्ड़्क्टर “मिर्जापुर इलाहाबाद, मिर्जापुर इलाहाबाद” बड़ी जोर जोर से चिल्ला रहा था. मै भी भइया के बगल में बैठा ही था कि बस चल दी. तकरीबन 15 मिनट बीते ही थे कि बस में विंध्याचल मैया का जयकारा गूँज उठा. मेरी झपकी टूट गई, नम्रता से मेरा भी माथा माँ के दरबार की ओर झुक गया. इतने में पीछे की सीट पर बैठे पटकू यादव बोल ही उठे, आजकल अपने लहँगपुर का भी माहौल बदल ही गया है. जानते हो जब से छेदी की बिटिया भुल्लन चमार के लड़के के साथ भगी है न, हर तरफ थू थू………
खैर मै तो बस सुन रहा था, लुफ्त ले रहा था. गप्पे तो भइया ही लड़ा रहे थे. खैर मै कहता ही क्या ? इन्ही की ही बिटिया तो आरती है, जिसका घर से निकलते ही फोन आया था. अब मेरे अन्दर का नैतिक मनुष्य फिर जगा. इस वक्त मै स्वयं को दूध का धुला समझ रहा था. मै सोचने लगा कि क्या ज़माना आ गया है, अपने को कोई नहीं देखता, बस लांछन लगाने को कह दो बस……..
“नैनी नैनी, नैनी वालों उतरो भइया” कन्ड़क्टर की आवाज सुनते ही हम सब उतरनें के लिए तैयार हो गए. बस के रूकते ही हम लोग देव भाई के कमरे की ओर बढ़ चले.
बेहद गर्मजोशी से देव को देखते ही गले मिले. आपबीती शुरू हुई, खैर मेरी आपबीती सुनकर देव बीच में ही बोल उठा, मनोज भाई आपके चेहरे की रौनक से ही हमें ख़बर लग गई कि कुछ तो आज हुआ है. बातों का सिलसिला बढ़ता गया……….. !

*******************************

लेखक परिचय-

मिर्जापुर जिले के छोटे से कस्बे लहंगपुर में पले बढ़े मनोज तिवारी, हर एक चीज को बदलाव की ऩजर से देखते हैं. यही वजह है कि ये लगातार अपने बदलाव को प्रयोगिक धरातल पर उतार कर साहित्यिक रूप में जन मानस तक पहुँचानें में सफल रहें हैं. इनका कहना सिर्फ इतना है कि अच्छे काम करते जाओ, सीखते जाओ और कदम बढ़ाते जाओ.

Language: Hindi
531 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अहोई अष्टमी का व्रत
अहोई अष्टमी का व्रत
Harminder Kaur
ईश्वर ने तो औरतों के लिए कोई अलग से जहां बनाकर नहीं भेजा। उस
ईश्वर ने तो औरतों के लिए कोई अलग से जहां बनाकर नहीं भेजा। उस
Annu Gurjar
"बदलाव"
Dr. Kishan tandon kranti
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
बस, इतना सा करना...गौर से देखते रहना
बस, इतना सा करना...गौर से देखते रहना
Teena Godhia
*
*"ममता"* पार्ट-4
Radhakishan R. Mundhra
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
Ranjeet kumar patre
#छंद के लक्षण एवं प्रकार
#छंद के लक्षण एवं प्रकार
आर.एस. 'प्रीतम'
युक्रेन और रूस ; संगीत
युक्रेन और रूस ; संगीत
कवि अनिल कुमार पँचोली
फितरत
फितरत
Mamta Rani
माना तुम्हारे मुक़ाबिल नहीं मैं।
माना तुम्हारे मुक़ाबिल नहीं मैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
Dheerja Sharma
आँखों से नींदे
आँखों से नींदे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्यार की दिव्यता
प्यार की दिव्यता
Seema gupta,Alwar
वो स्पर्श
वो स्पर्श
Kavita Chouhan
💐प्रेम कौतुक-514💐
💐प्रेम कौतुक-514💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
gurudeenverma198
हमें
हमें
sushil sarna
अरमां (घमण्ड)
अरमां (घमण्ड)
umesh mehra
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
Sunil Suman
जय श्रीकृष्ण -चंद दोहे
जय श्रीकृष्ण -चंद दोहे
Om Prakash Nautiyal
राम मंदिर
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जिज्ञासा और प्रयोग
जिज्ञासा और प्रयोग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मित्र
मित्र
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सरहद पर गिरवीं है
सरहद पर गिरवीं है
Satish Srijan
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...