Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2016 · 1 min read

यह ब्रह्मही है आत्मा ,आत्माही है: जितेन्द्र कमल आनंद ( पो १४२)

घनाक्षरी
———– यह ब्रह्म ही है आक्मा, आत्मा ही ब्रह्म अत:
ब्रह्माण्डीय चकुर्दिक विस्तार आत्मा का है ।
यह आत्मा सम्पूर्ण और आत्मा ही सत्य , वत्स
सुखकर अलौकिक संसार आत्मा का है।
भाव क्या अभाव कुछ है नहीं आत्मा के लिए , यह तो है अमर न संहार आत्मा का है ।
करते ईश्वरीय अनुभूतियाँ इसी से तो ,
यह देह मानव , उपहार| आत्मा का है ।।५/७७!!

—– जितेंद्रकमलआनंद
११-११-१६ रामपुर – २४४९०१

Language: Hindi
202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुछ समझ में ही नहीं आता कि मैं अब क्या करूँ ।
कुछ समझ में ही नहीं आता कि मैं अब क्या करूँ ।
Neelam Sharma
"विकल्प रहित"
Dr. Kishan tandon kranti
राधा अब्बो से हां कर दअ...
राधा अब्बो से हां कर दअ...
Shekhar Chandra Mitra
जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं
Madhavi Srivastava
*दादा-दादी (बाल कविता)*
*दादा-दादी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वो
वो
Ajay Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
हो गया जो दीदार तेरा, अब क्या चाहे यह दिल मेरा...!!!
हो गया जो दीदार तेरा, अब क्या चाहे यह दिल मेरा...!!!
AVINASH (Avi...) MEHRA
#dr Arun Kumar shastri
#dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गंवई गांव के गोठ
गंवई गांव के गोठ
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हादसें पूंछ कर न आएंगे
हादसें पूंछ कर न आएंगे
Dr fauzia Naseem shad
आंखें
आंखें
Ghanshyam Poddar
लोग चाहे इश्क़ को दें नाम कोई
लोग चाहे इश्क़ को दें नाम कोई
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
3073.*पूर्णिका*
3073.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
Er. Sanjay Shrivastava
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दस्तरखान बिछा दो यादों का जानां
दस्तरखान बिछा दो यादों का जानां
Shweta Soni
क्यों नहीं देती हो तुम, साफ जवाब मुझको
क्यों नहीं देती हो तुम, साफ जवाब मुझको
gurudeenverma198
चाँदनी .....
चाँदनी .....
sushil sarna
तन्हा -तन्हा
तन्हा -तन्हा
Surinder blackpen
किसी के दिल में चाह तो ,
किसी के दिल में चाह तो ,
Manju sagar
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
Harminder Kaur
मां का घर
मां का घर
नूरफातिमा खातून नूरी
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
रेत घड़ी / मुसाफ़िर बैठा
रेत घड़ी / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
गर्मी आई
गर्मी आई
Manu Vashistha
झंझा झकोरती पेड़ों को, पर्वत निष्कम्प बने रहते।
झंझा झकोरती पेड़ों को, पर्वत निष्कम्प बने रहते।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पढ़ना जरूर
पढ़ना जरूर
पूर्वार्थ
■ आज का शेर...
■ आज का शेर...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...