यह जीवन है अनमोल सखे
छंद: चौपाई
!!गीतिका!!
यह जीवन है अनमोल सखे।
तू माया से मत तोल सखे।।
परहित पर सुख जीवन का रस,
अब मत इसमें विष घोल सखे।
भ्रम के सागर में क्यों गिरता,
अब अन्त: के पट खोल सखे।
कटुता से हासिल नहि होता,
मीठा-मीठा कुछ बोल सखे।
जो निर्बल असहाय मनुज हैं,
उनके जीवन सुख घोल सखे।
मत भूलो जीवन की महिमा,
इस जीवन में बहु झोल सखे।
नश्वर है यह कंचन काया,
मत मद में अब तू डोल सखे।
??अटल मुरादाबादी?✍️