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8 Feb 2021 · 1 min read

यह ख्वाब

रात भर
सपनों में
एक ख्वाब बन
चले
सुबह जो उठूं
आंख मलते तो
वह ख्वाब कहीं न
मिले
यह ख्वाब रात का चांद
होते हैं क्या जो
सुबह होते ही
दिन निकलते ही
सूरज के उगते ही
उसकी तपिश से पिघल
जाते हैं और
एक गर्म भाप का
धुआं धुआं से बनकर
पलक झपकते ही
न जाने कहां खो जाते हैं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 287 Views
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