यह अश्क जो बहते हैं ….. (ग़ज़ल)
यह अश्क जो बहते है इस तरह ,
जिंदगी से इनका नाता है इस तरह .
जिंदगी चाहे हालातों से ना उबर पाए ,
अश्क खुद रास्ता बनायेगे ही इसी तरह .
जज्बातों की जहाँ में कोई कद्र नहीं ,
अनदेखी अश्कों की होती है इस तरह .
तकदीर और ज़माने के सताए हुए हम ,
यह बेवजह तो नहीं बहते ना इस तरह!
अपने अश्क खुद पोंछने होते है” अनु ”,
तुम ग़मों को अपने संभालो किसी तरह .